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बहिश्त को अमल से प्राप्त किया जा सकता है न कि उम्मीदों व आरज़ूओं के साथ

बहिश्त को अमल से प्राप्त किया जा सकता है न कि उम्मीदों व आरज़ूओं के साथ. ग़ुररुल हिकम और दुररुल कलिम, पृष्ठ 350 हदीस 4355

बहिश्त को अमल से प्राप्त किया जा सकता है  न कि उम्मीदों व आरज़ूओं के साथ