अंतर्राष्ट्रीय कुरआन समाचार एजेंसी (IQNA) ने ar.lesiteinfo.com के अनुसार बताया कि अहमद अल-रायसौनी ने एक बयान में कहा कि मोरसी की मौत आले सऊद और आले-नीहान के आपराधिक साजिशकर्ताओं के लिए शर्म और शर्मिंदगी है, जिनके हाथों पर मिस्र के लोगों, लीबिया, यमन, सूडान और अन्य मुस्लिमों के खून से रग़े हुए है।
बयान में यह भी कहा गया है कि मोर्सी की मौत अल-अजहर और मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फत्ताह अल-सीसी के लिए भी शर्म की बात है, जो सभी सम्मानित और निर्दोष लोगों की हत्या का आदेश देते हैं।
अहमद अल-रायसौनी ने जारी रख़ते हुए कहा कि मोहम्मद मुर्सी छह साल तक जेलों में यातना के अधीन रहा और छह साल की अवधि के दौरान उसकी हत्या कर दी गई।
मिस्र के पहले राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी का कल 17 जून को अदालत में निधन हो गया।
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