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नेत्रहीन हिंदी हाफ़िज़ ने कहा:

कुरान हिफ़्ज़ कररना, मेरे जीवन में सबसे अच्छी बात है / अंधापन महदूदीयत नहीं

11:06 - April 24, 2017
समाचार आईडी: 3471387
अंतरराष्ट्रीय समूहः "मोहम्मद काशिफ़ " भारतीय नेत्रहीन हाफ़िज़ और क़ारी ने अपने जीवन में सबसे अच्छी बात कुरान याद करने को बताया और उसका मानना ​​है कि अंधापन कोई महदूदीयत नहीं है और यह मनुष्य है कि मानसिक रूप से तैयार होकर और रचनात्मक तरीक़े से अपने लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाऐ।

कुरान हिफ़्ज़ करना, मेरे जीवन में सबसे अच्छी बात है / अंधापन महदूदीयत नहीं

"मुहम्मद काशिफ़" नेत्रहीन हाफ़िज़ और क़ारी है जो इस्लामी गणराज्य ईरान के 34 वें अंतरराष्ट्रीय कुरान टूर्नामेंट में कुल हिफ़्ज़ क्षेत्र में मुक़ाबला कर रहा है।

उन्हों ने अंतरराष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी (IQNA) के साथ ऐक साक्षात्कार में अपने जीवन और कुरआन की गतिविधियों के बारे में वर्णित किया इस साक्षात्कार को हम साथ में पढ़ें:

आपकी क्या उम्र है

26 साल।

आप भारत के कौन से शहर से हैं?

मैं "दिल्ली" मैं रहता हूं।

किस साल से, आपने क़ुरान हिफ़्ज़ करना शुरू किया?

7 वर्ष से मैं ने कुरान सीखना शुरू कर दिया और कुरान याद करना मेरे जीवन में सबसे अच्छी बात है।

आप ऐसा क्यों सोचते हैं?

क्योंकि यदि कुरान न याद किया होता तो मैं इस समय यह खुशी महसूस नहीं कर सककता था। मेरे लिए कुरान याद करने से ऊपर कोई खुशी नहीं है। इसके अलावा, पूरे कुरान का याद करना ऐक अंधे आदमी के लिए एक बड़ी सफलता है जो उसके लिऐ बहुत खुशी लाता ह।

आप ने कुरान कब तक और कैसे याद किया?

3 साल तक सुनने और कुरआनी कैसेट टेप सुन कर मैं यह करने में सक्षम हुआ। पहले तो यह मुश्किल लग रहा था, लेकिन प्रेक्टिस और प्रयास इस रास्ते में मेरे लिए सफलता की कुंजी था। क्योंकि कभी भी हतोत्साहित नहीं हुआ और आशा से भरे दिल के साथ, मैं अपने रास्ते पर चसता रहा।

क्यों ब्रेल वर्णमाला का उपयोग नहीं किया?

भारत में, ब्रेल वर्णमाला का उपयोग काफ़ी मुश्किल था, दूसरी ओर मुझे लगा कि मैं सुन कर बेहतर याद कर सकता हूं। यहाँ प्रोफेसर क़ारी "वली मोहम्मद" जो संवयं भारत के मूल निवासी हैं के प्रयासों का धन्यवाद करना ज़रूरी है।

अब तक कितनी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया?

इससे पहले तुर्की और ईरान की अंतर्राष्ट्रीय कुरान प्रतियोगिता में भाग लिया, और यह तीसरी बार है कि मैं अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेरहा हूं। ईरान में मेरी उपस्थिति गर्व का स्रोत है।

क्या अंधे होने को एक महदूदीयत जानते हो?

नहीं है, किसी तरह नहीं।

क्यों?

यह हर इंसान की मानसिकता पर निर्भर है, मैं विकलांगता को कभी भी महदूदीयत नहीं मानता हूं। हम मनुष्य हैं, यह हम मनुष्य हैं कि मानसिक रूप से तैयार होकर और रचनात्मक तरीक़े से अपने लक्ष्य की ओर क़दम बढ़ाऐं।

आप लिखना पढ़ना जानते हैं?

नहीं, जैसा कि मैंने पहले ही उल्लेख किया है, मैं ने कुरान मोड सुनकर सीख लिया है। यह एक मुश्किल काम सुखद अंत के साथ था।

आप ईरान के टूर्नामेंट का कैसे आकलन करते हैं?

बहुत अच्छा।

आप मुस्लिम विश्व के लिए क्या संदेश देना चाहते है?

एकता और समन्वय, यह सभी मुसलमानों के लिए मेरा संदेश है। इस्लामी दुनिया केवल एकता और विवादों से बच कर अपने मूल दिशा में जा सकती है। मुसलमानों के बीच एकता की मुख्य धुरी कुरान है इससे वाबसता होकर बुराइयों से निकला जा सकता है यदि मुसलमानों के जीवन में कुरान महवर बन जाऐ तो बहुत सी मानव समस्याओं का हल आसान हो जाएगा।

अंत में एक क़ारी व हफीज़े कुरान के रूप में आप की इच्छा क्या है?

मुझे उम्मीद है कि एक दिन अभ्यास,प्रयास की छाया में दुनिया का सबसे अच्छा क़ारी व हफीज़े कुरान बनूं।

मुर्तज़ा करीमी

3592490

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