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तुर्की महिला और 66 साल की उम्र में कुरान सीखने का उत्साह

15:05 - November 19, 2017
समाचार आईडी: 3471999
अंतर्राष्ट्रीय समूह: हलीमा बैराम ओग्लू तुर्की की एक बूढ़ी महिला, जो कि सालों से कुरान पढ़ने की नेमत से वंचित थी, अब अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही है।
तुर्की महिला और 66 साल की उम्र में कुरान सीखने का उत्साहतुर्की महिला और 66 साल की उम्र में कुरान सीखने का उत्साह

अंतरराष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी (IQNA) Ilkha.com के अनुसार, हलीमा बैराम ओग्लू, 66 साल की है और शहर गाजियांटेप, तुर्की में रह रही है।

वह जिसे बचपन और किशोरेपन में अपने शहर की सामाजिक स्थिति के कारण कुरान सीखने के लिए उपयुक्त मौका नहीं मिल सका, वह अब सालों के बाद अपनी इच्छा व हिम्मत के साथ संघर्ष कर रही है कि लंबे समय से अपनी उम्मीद यानि कुरान सीखने को पूरा करसके।

यह तुर्की की महिला ने इस बयान के साथ कि अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत करेगी कहाः "मैं 66 साल की हूँ और चाहती हूं कि पवित्र कुरान सीखूं," वह कहती हैं कि मेरे पति मुझसे कहते हैं कि इस उम्र में कुरान कक्षाओं में जाने के लिए मुश्किल है मैं उनकी चिंता को समझता हूं, लेकिन मुझे विश्वास है कि ईश्वर की आशा से यह काम करलूंगी, यह अभी तो शुरूआत है, लेकिन प्रयास और अभ्यास के साथ, मैं अपने लक्ष्य तक पहुंच जाऊंगी।

हलीमा बैराम ओग्लू, अपने भाषण के ऐक भाग में कुरान की कक्षाओं के आयोजन के महत्व की ओर इशारा करते हुए कहती हैं: "कुरान पढ़ने की क्षमता मेरी पुरानी इच्छा है, अगर ऐसा नहीं होता, तो मैं इस इच्छा और उत्साह के साथ कुर्आन कक्षाओं में भाग लेने के लिए तैयार नहीं होती।

उन्होंने कहाः कि मैं उन लोगों का धन्यवाद करती हूं जो इन कुरान कक्षाओं को चलाते हैं क्योंकि ये सुविधाएं समाज के सभी वर्गों को कुरान सीखने का अवसर प्रदान करने में सक्षम बनाती हैं।

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