इकना ने अल-यौम अल-साबेअ के अनुसार बताया कि मिस्र के दारुल इफ्ताह ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर एक बयान जारी कर कहा हमने "चिकित्सा समिति" के साथ परामर्श किया और निष्कर्ष निकाला कि रोज़ा रख़ने वाले पर कोरोना का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। बल्कि रोज़ा कोरोनोवायरस के खिलाफ शरीर की प्रतिरक्षा को बढ़ाता है।
मिस्र के दारुल इफ्ताह ने कहा कि "मरीजों, डॉक्टरों और नर्सों, जो कोरोनोवायरस के संपर्क की वजह से ख़तरे में हैं, यदि रोज़ा उनके लिए हानिकारक है, तो इन लोग़ो को रोज़ा न रख़ने की अनुमति है, और यह चिकित्सा कर्मचारियों की राय पर निर्भर करता है।
इस केंद्र ने कहा कि "कोरोनोवायरस वाले लोगों के लिए रोज़ा डॉक्टरों की सलाह पर निर्भर करता है, यदि डॉक्टर सलाह देते हैं कि रोज़ा पीड़ित के लिए हानिकारक है, तो चिकित्सा कर्मचारियों की सलाह का पालन करना अनिवार्य है, क्योंकि स्वास्थ्य रोज़े पर प्राथमिकता रख़ता है।