अहमद अहमद नईना ने इस तिलावत में सुरह अज़-ज़ुमर की आयत 73 " حَتَّىٰ إِذَا جَاءُوهَا وَفُتِحَتْ أَبْوَابُهَا وَقَالَ لَهُمْ خَزَنَتُهَا سَلَامٌ عَلَيْكُمْ طِبْتُمْ فَادْخُلُوهَا خَالِدِينَ: जब वह आऐ तो स्वर्ग के सभी दरवाजे (उनके संबंध में) खुले और उनसे रखवालों ने कहा "शांति आप पर हो (आप धन्य हों), आपको जो अनन्त आनंद प्राप्त हुआ है, अब इस शाश्वत स्वर्ग में प्रवेश करें,की सभा में उपस्थित लोगों के लिए तिलावत की।
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