शेख़ अनवर अल-शह्हात अनवर, "शह्हात मुहम्मद अनवर" के सबसे बड़े बेटे, मिस्र के दिवंगत पाठकों में से एक हैं।इस फ़िल्म में सूरऐ अल-इन्फ़ितार की आयतों 17,18,और 19 «وَمَا أَدْرَاكَ(ادریک) مَا يَوْمُ الدِّينِ: तुम को नहीं पता कि जजमेंट का दिन क्या है, ثُمَّ مَا أَدْرَاكَ مَا يَوْمُ الدِّينِ: फिर क्या जानो कि जजमेंट का दिन क्या है, يَوْمَ لَا تَمْلِكُ نَفْسٌ لِنَفْسٍ شَيْئًا وَالْأَمْرُ يَوْمَئِذٍ لِلَّهِ: जिस दिन किसी के पास किसी का ऐख़्तेयार नहीं है, और उस दिन ख़ुदा का हुक्म होगा"को बयात के साथ तिलावत किया है।
जर्मन दार अल-कुरान हैम्बर्ग में इमाम अली (अ.स) इस्लामिक सेंटर से संबद्धित है और इसके सोशल मीडिया पर पेज हैं जहां यह इस्लामी दुनिया, विशेष रूप से मिस्र और ईरान के पाठकों से अपनी गतिविधियों और कार्यक्रमों और पाठों को अपलोड और पुनर्प्रकाशित करता है।
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