रफ़ी अल-आमरी, प्रमुख इराक़ी क़ारी और देश के इराकी शिया बंदोबस्ती नेशनल सेंटर फॉर साइंस कुरान के प्रमुख, ईद ग़दीर के अवसर मायदह की आयत 67 «یَا أَیُّهَا الرَّسُولُ بَلِّغْ مَا أُنْزِلَ إِلَیْکَ مِنْ رَبِّکَ ۖ وَإِنْ لَمْ تَفْعَلْ فَمَا بَلَّغْتَ رِسَالَتَهُ ۚ وَاللَّهُ یَعْصِمُکَ مِنَ النَّاسِ ۗ إِنَّ اللَّهَ لَا یَهْدِی الْقَوْمَ الْکَافِرِینَ: "हे रसूल आप के रब की ओर से जो आप नाज़िलल हो चुका है उसे पंहुचा दें और यदि आप यह काम नहीं करते हैं, तो आपने अपना पूरा मिशन अंजाम नहीं दिया और परमेश्वर लोगों से तुम्हारी रक्षा करेगा। निश्चय ही ईश्वर काफिरों का मार्गदर्शन नहीं करता।" की जो ग़दीर मुद्दे की ओर इशारा करती है तिलावत की, और इक़नना के पास है जिसे आप नीचे सुन सकते हैं:
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