फॉक्स 35 ऑरलैंडो के अनुसार, अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने एक बयान में कहा कि 9/11, 2001 के बाद मुस्लिम अमेरिकियों पर हमला किया गया, उनके साथ दुर्व्यवहार, भेदभाव और नस्लवादी ऐक़्दामात किऐ गऐ।
हैरिस ने इस बात पर जोर देते हुए कि अमेरिकी नागरिक अपने मुस्लिम भाइयों के साथ खड़े थे, जिनके साथ उस समय दुर्व्यवहार किया गया था, कहा कि मानवता ही अमेरिकी लोगों को एकजुट करती है।
उन्होंने कहा, 'साथ ही, हमने 9/11 के बाद देखा कि देश को बांटने के लिए किस तरह से डराने-धमकाने का इस्तेमाल किया जा सकता है।
हैरिस ने कहा, कई मुस्लिम अमेरिकियों पर उनकी उपस्थिति और उनकी पूजा के तरीके के कारण हमला किया गया है। लेकिन हमने यह भी देखा कि क्या होता है जब कई अमेरिकी उन लोगों के साथ एकजुटता दिखाते हैं जिन्होंने हिंसा और भेदभाव का अनुभव किया है।
उन्होंने कहा कि 9/11 की घटनाओं ने सभी को दिखाया कि संयुक्त राज्य में विविधता ताकत का स्रोत है, और सभी को याद दिलाया कि प्रगति के लिए एकता आवश्यक है।
रिपोर्टें यह भी बताती हैं कि काउंसिल ऑन इस्लामिक-अमेरिकन रिलेशंस (सीएआईआर) के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 9/11 के बाद से 72% अमेरिकी मुस्लिम महिलाओं ने व्यक्तिगत रूप से पूर्वाग्रह या भेदभाव के एक या अधिक मामलों का अनुभव किया है। पुरुषों के लिए यह आंकड़ा 67 प्रतिशत था। पैंसठ प्रतिशत मुस्लिम महिलाएं भी मानती हैं कि वे अमेरिकी समाज में मुस्लिम पुरुषों की तुलना में कम लोकप्रिय हैं।
यह रिपोर्ट कहती है: 11 सितंबर, 2001, संयुक्त राज्य भर में घृणा से उत्पन अपराधों में तत्काल और घातक वृद्धि का कारण बना, जो 20 वर्षों के बावजूद अभी तक पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुआ है।
रिपोर्ट के दूसरे हिस्से से पता चलता है, हालांकि इन हमलों ने खुद मुस्लिम विरोधी भावना को हवा दी है, इस्लामोफोबिया राजनेताओं और मीडिया के लिए इस्लाम के डर को बढ़ाने और बढ़ाने और देश और विदेश में मुसलमानों के खिलाफ सरकार की विनाशकारी नीतियों को आगे बढ़ाने का एक उपकरण बन गया है।
रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि 9/11 के बाद, सरकार ने कई कार्यक्रम शुरू किए, जिसने संयुक्त राज्य अमेरिका में नागरिक स्वतंत्रता को कमजोर किया और मुसलमानों को निशाना बनाया।
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