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रोहिंग्या संकट की मध्यस्थता के लिए जापान की तत्परता

15:45 - July 31, 2019
समाचार आईडी: 3473836
अंतर्राष्ट्रीय समूह- रोहिंग्या शरणार्थी संकट हल करने और राखीन राज्य में अपने घरों में सुरक्षित लौटने के उद्देश्य से जापान बांग्लादेश और म्यांमार के बीच मध्यस्थता करने के लिए तैयार है।

अनातोली न्यूज़ एजेंसी के अरबी विभाग के हवाले से IQNA की रिपोर्ट, बांग्लादेश के विदेश मंत्री अबुलकलाम अब्दुल मोमिन ने जापानी विदेश मंत्री तारा कोनो के साथ एक संयुक्त समाचार सम्मेलन में इस समाचार के ऐलानन के साथ कहा: राखीन मुसल्मानों के सुरक्षित लौटने के उद्देश्य से टोक्यो, बांग्लादेश और म्यांमार के बीच मध्यस्थता करने के लिए तैयार है और मामले का मूल्यांकन किए जाने के बाद आवश्यक निर्णय किया जाएगा। 
उन्होंने कहा, "जापानियों ने राख़ीन राज्य सहित म्यांमार और बांग्लादेश दोनों में भारी निवेश किया है।" इसलिए जापान के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह रोहिंग्या मुस्लिम संकट को हल करे, ताकि क्षेत्र में शांति और स्थिरता को महत्व दिया जा सके। 
अब्दुल मोमिन ने उग्रवादी आंदोलनों के बढ़ने की चेतावनी दी यदि राख़ीन मुसलमान अपने क्षेत्रों में वापस नहीं गए और कहा: ढाका रोहिंग्याई शरणार्थियों को गरिमा के साथ अपने देश वापस जाना पसंद करेगा।
बांग्लादेश की तीन दिवसीय यात्रा करने वाले जापानी विदेश मंत्री ने कल 30 जूलाई को सीमा क्षेत्र कॉक्स बाज़ार में रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों का दौरा किया।जब कि पिछले सप्ताह, म्यांमार के एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल ने दक्षिण-पूर्व बांग्लादेश के कॉक्स बाज़ार की यात्रा रके रोहिंग्या शरणार्थियों के साथ विशेष कर म्यांमार लौटने पर चर्चा की।
 
बांग्लादेशी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी मोहम्मद दिलावर हुसैन ने कहा कि म्यांमार के प्रतिनिधिमंडल की बांग्लादेश यात्रा का उद्देश्य रोहिंग्या मुसलमानों के साथ म्यांमार लौटने के बारे में बात करना था।
इससे पहले, बांग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख़ हुसीना ने कहा: रोहिंग्याओं की वापसी में देरी करने की जिम्मेदारी म्यांमार सरकार पर है और इस देश का कोई इरादा नहीं है कि विस्थापितों का फिर से स्वागत करे।
बांग्लादेश और म्यांमार ने 25 नवंबर 2018 को रोहिंग्या शरणार्थियों को राखीन में उनके घरों में लौटने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किऐ हैं, जिसके तहत रोहिंग्या मुसलमानों की वापसी प्रक्रिया क्रमिक होगी, जबकि दोनों देशों को उनकी सुरक्षा, स्वास्थ्य और गरिमा सुनिश्चित करनी होगी। लेकिन उचित शर्तों की कमी के कारण म्यांमार सरकार द्वारा इसस समझौते को लागू नहीं किया गया है।
बांग्लादेशी अधिकारियों के अनुसार, अगस्त 2017 से, लगभग 700 हजज़ार रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश में आ गऐ थे, जबकि लगभग 400 हज़ार रोहिंग्या मुसलमान पहले से ही बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे थे।
अब बांग्लादेश के कॉक्स बाज़ार क्षेत्र में शरणार्थी शिविरों में 900 हज़ार से अधिक रोहिंग्या मुसलमान हैं, जिनमें से म्यांमार में हिंसा का नया दौर शुरू होने के बाद पिछले साल अगस्त के अंत तक लगभग 688 हज़ार बांग्लादेश में आ गए।
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