IQNA की रिपोर्ट, अल-उम्मह न्यूज एजेंसी के हवाले से, अल-अज़हर इंटरनेशनल फ़तवा सेंटर ने एक बयान जारी कर कहा: "हिजाब कुरान की आयतों और कलामेवहि के तर्क के आधार पर अनिवार्य है और यह बात इज्तिहाद के क़ाबिल नहीं है, और किसी को भी कुरान की आयतों के निश्चित व साबित वाक्यों का विरोध करने का अधिकार नहीं है।
इस बयान में कुछ दावों को कि हिजाब मुद्दा वाजिब नहीं किया गया है बढ़ावा देने के खिलाफ चेतावनी दी गई है: गैर-विशेषज्ञ और जनता को इस मस्अले में दख़ल नहीं देना चाहिए।
इंटरनेशनल फ़तवा सेंटर ने आगे चलकर कुछ कुरआनी आयतों को जो महिलाओं के लिए घूंघट की आवश्यकता के मुद्दे पर निश्चित संकेत देती है, का उल्लेख किया और अल्लाह ने सूरऐ नूर आयत 31 «وَقُلْ لِلْمُؤْمِنَاتِ يَغْضُضْنَ مِنْ أَبْصَارِهِنَّ وَيَحْفَظْنَ فُرُوجَهُنَّ وَلَا يُبْدِينَ زِينَتَهُنَّ إِلَّا مَا ظَهَرَ مِنْهَا وَلْيَضْرِبْنَ بِخُمُرِهِنَّ عَلَى جُيُوبِهِنَّ: और विश्वास वाली महिलाओं से कहो अपनी आँखें(हर ना महरम से) झुकाऐ रखो, और खुद को शुद्ध करो, और अपने ज़ीनत की चीज़ों को प्रकट ना करो, सिवाय इसके कि स्वाभाविक रूप से जो ज़ाहिर है, और अपने दूपट्टे को सीने पर डाले रखो और आयत 59 सूरऐ अहज़ाब " «يَا أَيُّهَا النَّبِيُّ قُلْ لِأَزْوَاجِكَ وَبَنَاتِكَ وَنِسَاءِ الْمُؤْمِنِينَ يُدْنِينَ عَلَيْهِنَّ مِنْ جَلَابِيبِهِنَّ ذَلِكَ أَدْنَى أَنْ يُعْرَفْنَ فَلَا يُؤْذَيْنَ وَكَانَ اللَّهُ غَفُورًا رَحِيمًا: हे पैगंबर अपनी पत्नियों और अपनी बेटियों और मोमिन महिलाओं से कहो अपने लिबास से अपने को ढके रखो यह इस लिऐ कि पहचानी जाऐं और परेशान न की जाऐं ऐहतियात के निकट है और ईश्वर क्षमाशील है, दयालु है” में अर्जित किया है: जो महिलाओं के लिए हिजाब की आवश्यकता पर जोर देती है।
इस बयान में कहा गया है: जब इस्लाम ने महिलाओं को अपने चेहरे और हाथों को प्रकट करने की अनुमति दी और महिलाओं को इनके अलावा कवर करने के लिए हुक्म दिया अन्यथा, वे वास्तव में उनकी स्त्रीत्व और नेचर को संरक्षित करने के लिऐ था, और इस्लाम ने ऐसा करने को इस लिऐ कहा ता कि महिलाओं को केवल एक शरीर और एक वासना के रूप में ना लिया जाऐ।
अल-अज़हर फतवा केंद्र ने इस बयान में कहा: अगर कोई व्यक्ति हिजाब के मुद्दे को निष्पक्षता से देखता है, तो वह पाएगा कि इस्लामी घूंघट महिला के पक्ष में है और यह घूंघट इससे पहले कि एक धार्मिक बात हो मानव स्वभाव के अनुपात में है।
अंत में, केंद्र ने इस तरह के आदेशों और फतवों के प्रचारकों से अपील की कि अपनी ज़ुबान को धार्मिक आदेशों को सबूत के बिना पेश करने से रोकें और क्षेत्र में फतवे के मुद्दे को विद्वानों और विशेषज्ञों के हवाले करें।
यह याद रहे कि हाल ही में मिस्र के समाज में हिजाब अनिवार्य की आवश्यकता का मुद्दा विवादास्पद हो गया और कुछ कलाकारों और मीडिया कार्यकर्ताओं ने देश में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।