अरब न्यूज़ के अनुसार, यूसुफ बिन अहमद अल-अषीमीन ने भी रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यकं को न्याय दिलाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से कानूनी प्रयासों को आगे बढ़ाने का अधिक समर्थन का आह्वान किया।
साथ ही, इस्लामिक सहयोग संगठन के महासचिव ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से रोहिंग्या अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सुरक्षा सुनिश्चित करने और म्यांमार मुसलमानों के खिलाफ सभी प्रकार की हिंसा को तत्काल समाप्त करने के लिए प्रयास करने के लिए कदम बढ़ाने का आह्वान किया।
अगस्त 2017 से, म्यांमार की सेना और बौद्ध मिलिशिया ने पश्चिमी राज्य राखिन में रोहिंग्याइयों के खिलाफ क्रूर हमले और हत्याएं की हैं।
स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय स्रोतों के अनुसार, इन अपराधों की निरंतरता ने अब तक हजारों रोहिंग्या को मार डाला है, साथ ही बांग्लादेश में लगभग दस लाख लोग विस्थापित और शरण लेचुके हैं।
म्यांमार सरकार रोहिंग्या को बांग्लादेश से प्रवेश करने वाले नागरिक आप्रवासियों के रूप में मानती है, जबकि संयुक्त राष्ट्र उन्हें दुनिया का सबसे अधिक प्रताड़ित अल्पसंख्यक मानता है।
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