तेहरान(IQNA)पाकिस्तान में अल-मुस्तफ़ा विश्वविद्यालय (पीबीयूएच) के प्रतिनिधि ने जोर देकर कहा कि रमज़ान के पवित्र महीने और उपासना के धन्य प्रभावों में से ऐक, आध्यात्मिकता और बंदगी का अभ्यास है, जो एक व्यक्ति को इस महीने के अंत में आध्यात्मिकता से भरा जीवन यहां तक कि भौतिक मामलों में दे सकता है।
पाकिस्तान में अल-मुस्तफ़ा (PBUH) इंटरनेशनल सोसाइटी के प्रतिनिधि, हुज्जतुल-इस्लाम वल मुस्लिमीन मोहसिन दादसरिश्त ने रमज़ान के भाषणों में " माहे इश्क़ के उपहार" की श्रृंखला जो एक वीडियो में तैयार की गई है, जोर दिया।" रमज़ान के पवित्र महीने के धन्य प्रभावों में से ऐक, जीवन के सभी पहलुओं में आशीर्वाद, बंदगी, आध्यात्मिकता का अभ्यास है यहां तक कि जीवन के भौतिक मामलों में भी।
रमजान के पवित्र महीने के छटे दिन हुज्जतुल-इस्लाम वल मुस्लिमीन मोहसिन दादसरिश्त के भाषणों का विवरण इस प्रकार है:
"भगवान के नाम से। रमजान के पवित्र महीने के छटे दिन, प्रिय उपस्थित लोगों की सेवा में, मैं सबसे पहले इस दिन की प्रार्थना पढ़ूंता हूं:
اللهمّ لا تَخْذِلْنی فیهِ لِتَعَرّضِ مَعْصِیتِکَ ولا تَضْرِبْنی بِسیاطِ نَقْمَتِکَ وزَحْزحْنی فیهِ من موجِباتِ سَخَطِکَ بِمَنّکَ وأیادیکَ یا مُنْتهی رَغْبـةَ الرّاغبینَ.
हे ईश्वर, इस महीने में अवज्ञा के लिए मुझे मत छोड़ना और मुझे प्रतिशोध के कोड़ों से पीड़ा मत देना, और मुझे क्रोध के कारणों से दूर रखना, अपने असंख्य आशीर्वाद और ऐहसानों के ज़रये, ऐ उत्सुक लोगों की इच्छा की सीमा।
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