अल-शुरूक़ के अनुसार, ब्रसेल्स में नाटो शिखर सम्मेलन के मौके पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ बैठक के दौरान तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैय्यब एर्दोग़ान के साथ बाहिजाब अनुवादक ने लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
एर्दोगन ने अंतर्राष्ट्रीय संबंध में विशेषज्ञ ख़ातून "फ़ातेमह क़ाव्ची अबू शनब" को व्यर्थ नहीं चुना, बल्कि अपनी मां को उसके माध्यम से सम्मानित करना चाहते थे।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, फ़ातेमह क़ाव्ची एक फ़िलिस्तीनी और तुर्की की संसद के पहले नकाबपोश सदस्य मरवा क़ाव्ची की बेटी हैं।
फ़ातेमह की माँ को 1999 में तत्कालीन तुर्की राष्ट्रपति सुलेमान डेमिरल द्वारा उनके हिजाब के कारण संसद में प्रवेश करने से रोक दिया गया था, और तुर्की के अधिकारियों ने बाद में उनकी तुर्की नागरिकता छीन ली, जिससे देश में एक बड़ा राजनीतिक संकट पैदा हो गया।
उसके बाद, मरवा क़ाव्ची प्रवास के समय तक संयुक्त राज्य अमेरिका में रही तुर्की में हर जगह दबाव में थी, लेकिन बाद में इस देश में लौट आई।
मीडिया कार्यकर्ताओं का कहना है कि एर्दोग़ान ने क़ाव्ची को तुर्की की नागरिकता बहाल करके और मलेशिया में तुर्की के राजदूत के रूप में उनकी नियुक्ति को संसद से उनके निष्कासन की भरपाई के उद्देश्य से उनकी विश्वसनीयता बहाल की।
सोशल मीडिया कार्यकर्ताओं ने तुर्की के राष्ट्रपति के व्यवहार की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसा करके एर्दोगन ने न केवल मरवा बल्कि उन सभी मुस्लिम महिलाओं को सम्मानित किया जो अपने विश्वासों के लिए प्रतिबद्ध थीं और इस्लाम और मुसलमानों का सम्मान अर्जित किया है।
दूसरों का मानना है कि बाइडेन के साथ एक बैठक में एर्दोग़ान के अनुवादक के रूप में फातिमा का चुनाव इस्लाम और महिलाओं के हिजाब के दुश्मनों के लिए एक संदेश है कि वे मानवीय विचारों और अक़ीदों का सम्मान करना सीखें और दिखावे के प्रति संवेदनशील न हों।
फ़ातेमह क़ाव्ची एक अमेरिकी-शिक्षित महिला हैं, जो इस ददेश में कई राजनीतिक और धार्मिक संगठनों के लिए काम किया है।
3979336