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रिफ़ाह-उल-मोमिनीन लाइब्रेरी, फैजाबाद, एक नज़र

15:07 - November 21, 2022
समाचार आईडी: 3478121
तेहरान (IQNA):फैजाबाद का नाम तो आपने खूब सुना होगा। फैजाबाद अब बाबरी मस्जिद की वजह से कई सालों से मशहूर है। यहां ‌कई उलमा गुजरे हैं और कुल मिलाकर यह शहर ज्ञान की नगरी हुआ करता था।

फैजाबाद का नाम तो आपने खूब सुना होगा। फैजाबाद अब बाबरी मस्जिद की वजह से कई सालों से मशहूर है। यहां ‌कई उलमा गुजरे हैं और कुल मिलाकर यह शहर ज्ञान की नगरी हुआ करता था।

मशहूर शायर जनाब मीर अनीस साहब और दूसरे मशहूर शायर जनाब चकबस्त साहब इन दोनों का ताल्लुक फैजाबाद से रहा है।

शहर में कई प्राचीन और ऐतिहासिक मस्जिदें और अन्य ऐतिहासिक इमारतें हैं। फैजाबाद एक ऐसा शहर है जहां मौलाना मुहम्मद अली कश्मीरी भी रहा करते थे और उसी शहर के पास उनकी कब्र भी है। मौलाना मुहम्मद अली कश्मीरी साहिब जिन्हें मुल्ला मुहम्मद अली साहब और पाशा साहिब या बादशाह साहब भी कहा जाता था, वह एक दीनी आलिम थे, जिन्होंने अवध क्षेत्र और आसपास के क्षेत्र में शिया जुमा व‌ जमाअत के लिए एक आंदोलन चलाया और इस आंदोलन के लिए उन्होंने नमाज़ ए जमाअत के विषय पर एक किताब भी लिखी थी। और नवाब आसिफ उद दौला के मंत्री श्री हसन रज़ा साहब के माध्यम से उन्होंने लखनऊ में नमाज़े जुमा और जमात के सिलसिले को क़ायम करने का भरपूर प्रयास किया और अल्हम्दुलिल्लाह यह काम हो गया। 

रिफ़ाह-उल-मोमिनीन लाइब्रेरी, फैजाबाद, एक नज़र

रफाह-उल-मोमिनीन पुस्तकालय दरअसल फैजाबाद में चौक मस्जिद के मातहत है। इस मस्जिद का निर्माण नवाब आसिफ-उद-दौला के मंत्री हसन रजा खान साहब ने करवाया था और यह पुस्तकालय लगभग 150 वर्ष पुराना है। 

रिफ़ाह-उल-मोमिनीन लाइब्रेरी, फैजाबाद, एक नज़र

इस पुस्तकालय की पुस्तकें काफी हद तक ज़ाया हो चुकी हैं और बहुत सी ऐसी पुस्तकें हैं जो अनुपयोगी होने के कारण बोरियों आदि में रखी हुई हैं। 

वर्तमान समय में इस पुस्तकालय में लगभग पाँच सौ पुरानी पुस्तकें हैं, इसके अलावा लगभग पचास या साठ दस्ती नुस्ख़े भी हैं। नए काल में लिखी गई पुस्तकें इन पुस्तकों से अलग हैं और उनकी संख्या लगभग 1000 तक पहुँच जाती है।

रिफ़ाह-उल-मोमिनीन लाइब्रेरी, फैजाबाद, एक नज़र

इस पुस्तकालय का उपयोग करने के लिए भारत और पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों के उलमा और दानिश्वर आते रहे हैं।

पुस्तकालय में काफी मोटा रजिस्टर है जो पुस्तकालय में आने वाले पचास वर्षों से अधिक समय तक आने वाले लोगों का विवरण दर्ज करता है।

इस रजिस्टर में लोगों के आने-जाने और पुस्तकालय के उपयोग का विवरण बहुत बारीकी से दर्ज किया जाता था। मिसाल के तौर पर, यदि कोई व्यक्ति पुस्तकालय में नहीं आया है या कोई समस्या हुई है, तो वहाँ न आने का कारण और वजह को दर्ज किया जाता था।

रिफ़ाह-उल-मोमिनीन लाइब्रेरी, फैजाबाद, एक नज़र

चालीस-पचास साल पहले वहां किताबों की बैंडिंग हुई थीं, लेकिन कई सालों तक, करीब 20 साल तक पुस्तकालय बंद रहा और उसका इस्तेमाल खत्म हो गया। यही कारण था कि किताबें खराब होने लगीं और ज्यादातर किताबें पुस्तकालय भवन के बाहर ही रख दी गईं। 

मस्जिद के पूर्व ट्रस्टी डॉ मिर्ज़ा शहाब शाह, जिसके तहत यह पुस्तकालय भी स्थित है, ने हुज्जत-उल-इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना क़मर मेहदी से पुस्तकालय का पुनर्गठन करने का अनुरोध किया। इसलिए बहुत परेशानी से मौलाना ने हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमिन मुहम्मद अब्बास मोनिस साहब और दो अन्य छात्रों मौलवी मुबश्शिर हुसैन और मौलवी सैयद फरज़ान के साथ मिलकर इस पुस्तकालय का पुनर्गठन किया। और अल्हम्दुलिल्लाह अब यह प्रयोग करने लायक़ है और वर्तमान में श्री वसीम साहब मस्जिद के मुतवल्ली हैं और श्री मौलाना इक़बाल हुसैन उरफी साहब इस पुस्तकालय के मुन्तज़िम हैं।

 

 

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