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हिंदुस्तान के फैजाबाद शहर से

हिजाब के बारे में धार्मिक और सांस्कृतिक सक्रिय मौलाना क़मर मेहदी साहब से बातचीत

21:31 - February 01, 2024
समाचार आईडी: 3480557
फैजाबाद, इकना: फैजाबाद या अजोधिया लगभग एक ही शहर है, कोई ज्यादा अंतर नहीं है। यह वही शहर है जहां कुछ दिन पहले ही बाबरी मस्जिद के खंडहरों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक हिंदू मंदिर बनाया गया था, एक ऐसा फैसला जिसे किसी भी इंसाफ पसन्द सोच वाले व्यक्ति ने इंसाफ की बुनियाद पर नहीं कहा था, बल्कि सब ने यही कहा कि यह निर्णय विचारधारा या आस्था पर आधारित है। इसी शहर से ताल्लुक रखने वाले हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन मौलाना क़मर मेहदी खान साहब हैं, जो धार्मिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में हमेशा सक्रिय रहे हैं। उनसे बातचीत में हिजाब को लेकर काफी चर्चा हुई.

एकना: हिजाब के मामले में पूरी दुनिया में महिलाएं और बच्चे हिजाब की वजह से पीड़ित हैं और विभिन्न समूह, छोटे समूह या कुछ जगहों पर सरकारें उन्हें परेशान कर रही हैं। क्या यह कोई साजिश या प्लान है? या सिर्फ एक राजनीतिक आंदोलन है, सिर्फ वोट पाने के लिए?

क़मर मेहदी साहब: हिजाब के ख़िलाफ़ और इस्लामी धार्मिक मूल्यों के ख़िलाफ़ वर्षों से नियमित साजिश होते रहे हैं। सबसे पहले, अंग्रेज़ों की ताकतों ने पश्चिमी देशों में और फिर पूरी दुनिया में हिजाब के ख़िलाफ़ प्रचार शुरू किया। आप जानते हैं कि यदि आप को इस्लाम समाज नष्ट करना है तो आप मुस्लिम महिलाएं हैं जिसे पर्दा छीनना होगा

एकना: हिंदुस्तान में हिजाब के खिलाफ कई तरह के बदलाव हुए हैं, खासकर कर्नाटक का मामला बहुत दिनों तक सुर्खियों में रहा, कई कदम उठाए गए हैं, यानी अगर कोई साधारण व्यक्ति इसे देखे, तो उसे लगेगा कि कुछ गड़बड़ है, क्या यह सब इसलिए है कि उनके लिए हिंदुस्तान में वोट बटोरना जरूरी है, क्या ये तासृसुब है या ये एक विचारधारा है या इस्लामोफोबिया है, जो पर्दे के खिलाफ है, मुसलमानों के खिलाफ है, और मुसलमानों के सैमबोल के खिलाफ है,  क्या ख्याल है आप 

 

क़मर मेहदी साहब: पश्चिमी दुनिया के बाद पूरी दुनिया में अब भारत में भी इस्लाम के ख़िलाफ़ disinformation बहुत ज़ोर-शोर से किया जा रहा है और इस्लामी संस्कृति को ख़त्म करना राजनीतिक लाभ से ज़्यादा लाभ है और इसकी भरमार है अन्य इस्लामी मूल्यों पर हमला जारी है

एकना: कुछ लोग कहते हैं कि पर्दा पवित्र कुरान का हुक्म नहीं है। क्या वाकई यह कुरान में मौजूद है और अगर मौजूद है तो यह कहाँ 

क़मर मेहदी साहब: इस हुक्म का उल्लेख पवित्र कुरान में कई स्थानों पर किया गया है। सूरह अहज़ाब की 59, आयत है

يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّبِيُّ قُل لِّأَزۡوَٰجِكَ وَبَنَاتِكَ وَنِسَآءِ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ يُدۡنِينَ عَلَيۡهِنَّ مِن جَلَٰبِيبِهِنَّۚ ذَٰلِكَ أَدۡنَىٰٓ أَن يُعۡرَفۡنَ فَلَا يُؤۡذَيۡنَۗ وَكَانَ ٱللَّهُ غَفُورٗا رَّحِيمٗ

  हे पैगम्बर! अपनी पत्नियों, अपनी बेटियों और ईमान वाली महिलाओं से कहो: वे अपनी ओढाणियों को को थोड़ा सा नीचे कर लिया करें यह उनकी पहचान के लिए अच्छा है और कोई उनको परेशान नहीं करेगा और अल्लाह बड़ा  माफ करने वाला और मेहरबान है

इसके अलावा भी अनेक आयतें हैं। मुफ़स्सिरों ने कहा है कि सूरह अहज़ाब की आयतें 32, 33, 53, 54, 55, 59 और सूरह नूर की आयतें 30, 31, 58, 59, 60 हिजाब से संबंधित हैं।।ا:है?।का?।

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