अंतर्राष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी (IQNA) ने «विश्व बुलेटिन» के अनुसार बताया कि वह मुसलमान जो म्यांमार के नागरिकता दस्तावेज नही रख़ते हैं उनको शिविरों में स्थानांतरित कर दिया जाएगा
यह प्रक्रिया एसे समय में हो रही है कि म्यांमार सरकार निवास के एक लंबे इतिहास के बावजूद भी उन्हें बांग्लादेश से अवैध आप्रवासिय मानती है और कहती है कि वे नागरिकता के हकदार नहीं हैं.
म्यांमार अराकान राज्य और राज्य आपातकालीन समन्वय समिति के एक प्रमुख बौद्ध नेता सान तुन रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यक को बंगाली कहते हुए कहा कि जल्द ही बंगाली नागरिकता के अध्ययन करने के लिए परियोजना शुरू करेग़ी और इस योजना को म्यांमार के राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा.
प्रस्ताव के तहत, गांवों और शरणार्थी शिविरों रहने वाले मुसलमानों को शिविरों में भेज दिया जाएगा.
2012 केबीच से ही म्यांमार के बौद्धों ने देश के मुस्लिम अल्पसंख्यक के खिलाफ एक उग्रवादी हिंसा की नई लहर और घातक हमलों को प्रोत्साहित कर रख़ा है
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