अंतर्राष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी (IQNA) "अल-यौम 24"खबर के हवाले से, मोरक्को के स्कूलों पारंपरिक कुरानी जगहें इस देश में kindergartens और मदरसों की भूमिका निभाते हैं, और ग्रामीण और उनके आस पास में गरीब बच्चे पहले शब्द इसी मकान में सीखते हैं.
मोरक्को में बच्चे हिफ़्ज़े क़ुरान को अमूमन अपने बापों व दादाओं से विरासत में लेते हैं और जो लोग माली इमकानात नहीं रखते हैं स्कूलों में पढ़ने के बजाऐ क़ुरान की आयतों को सीखने के लिऐ इन जगहों पर अपने बच्चों को भेजते हैं.
मोरक्को के अधिकतम गांव में जब बच्चा चार साल का हो जाता है तो उसके माता पिता उसे मदरसों में ले जाते हैं ता कि फ़क़ीह (मदरसे का शिक्षक) पहले चरण में अबजद शब्द(अलिफ़ बे पे) सिखाऐ फिर पवित्र कुरान की छोटी छोटी आयतें याद करते हैं और फिर हिफ़्जे क़ुरान शुरुआत से शुरू करते हैं इस तरह कि उनमें से कुछ लोग इन जगहों पर कई बार कुरान ख़त्म करते हैं.
शहर "Azylal» मोरक्को के ऐक पारंपरिक मक्तब मेंलग भग 70 बच्चे शिक्षित हो रहे हैं कि हाथ में कुरआनी तख़्तियां लेकर शिक्षक की देखरेख में क़ुरानी आयतों को दोहराते हैं.
इस शिक्षक ने कहा: ये बच्चे हर दिन सुबह प्रार्थना के बाद स्कूल आते हैं और अपनी Quranic तख़्तियों को साफ करते हैं और नई आयतों को लिखना शुरू करते हैं कि हिफ़्ज़ के लिऐ और हाफ़िज़े में सुरक्षित करने के लिए पूरे दिन के दौरान दोहराते रहते हैं.
याद रहे, यह कुरान की शिक्षा के पारंपरिक घर मोरक्को के कुछ शहरों में आयोजित होते हैं, लेकिन गांवों में क़ुरानी जगहों से अलग होती हैं और संख्या कम है, और ग्रामीण और Bedouins जगहों की भूमिका अदा नहीं करते हैं.
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