अंतर्राष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी (IQNA) समाचार एजेंसी आवा के अनुसार, मोहम्मद अशरफ गनी, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति, ने 14 अगस्त को देश के उलेमा के राष्ट्रीय परिषद के अध्यक्ष और सदस्यों के साथ एक बैठक में कहाः धार्मिक विद्वान और सरकार को एक कतार में खड़ा होना चाहिए, सरकार के विरोधियों की ओर से जिहाद की घोषणा सिद्धांत और धार्मिक दोनों तरीक़े से जायज़ नहीं है, इस्लामी कानून का दुरुपयोग न केवल एक अपराध है, बल्कि अवज्ञा और नाफ़रमानी है, और आप धार्मिक विद्वानों से चाहता हूं कि इस क्षेत्र में अपनी आवाज को मस्जिदों से बुलन्द करें.
उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों को मजबूत बनाने करने के लिऐ बहुमूल्य समर्थन में विद्वानों की भूमिका अहम है कहा: शांति, अफगान लोगों की बुनियादी जरूरतों में से एक है और हम शांति को मज़बूत करने के अलावा दूसरा कोई रासता नहीं रखते हैं. है और शांति को किसी अन्य ताकत के हाथों में नहीं दे सकते.
अफगानी राष्ट्रपति ने कहाः शांति को मजबूत करने और लोगों को जुटाने के लिए धार्मिक विद्वानों के प्रयासों को सराहनीय है और धार्मिक नेताओं को अपने प्रभाव का उपयोग करके राष्ट्र को सरकार से जोड़ें क्योंकि हमारा देश अपनी समस्याओं को हल करने के लिए एक आम सहमति की जरूरत रखता है.
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