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इमाम हसन असकरी अ.स. कहते हैं.

कही ऐसा न हो कि ज़ामिन शुदा रिज़्क़ वाजिब अमल से रोक ले.

कही ऐसा न हो कि ज़ामिन शुदा रिज़्क़ वाजिब अमल से रोक ले.