وَالسَّلَامُ عَلَيَّ يَوْمَ وُلِدْتُ وَيَوْمَ أَمُوتُ وَيَوْمَ أُبْعَثُ حَيًّا﴿33﴾
और जिस दिन मैं पैदा हुआ और जिस दिन मरूंगा और जिस दिन मैं पुनर्जीवित होऊंगा, उस दिन मुझ पर शांति हो।
ذَلِكَ عِيسَى ابْنُ مَرْيَمَ قَوْلَ الْحَقِّ الَّذِي فِيهِ يَمْتَرُونَ ﴿34﴾
यह [कहानी] मरियम के पुत्र ईसा की [वही] सच्ची वाणी है जिस पर उन्हें संदेह है
مَا كَانَ لِلَّهِ أَنْ يَتَّخِذَ مِنْ وَلَدٍ سُبْحَانَهُ إِذَا قَضَى أَمْرًا فَإِنَّمَا يَقُولُ لَهُ كُنْ فَيَكُونُ﴿35 ﴾
भगवान के लिऐ यह मुनासिब नहीं कि एक बच्चा ले, वह पाक है, जब वह कुछ चाहता है, तो बस उसे अस्तित्व में आने के लिए कहता है, इसलिए वह तुरंत अस्तित्व में आ जाता है।
सूरह मरयम
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