सूरह हूद में अल्लाह अपने बंदों के लिए अपनी सुन्नत (नियम) को बयान करता है और पिछली उम्मतों के समाचार, नूह, हूद, सालेह, लूत, शुऐब और मूसा (अलैहिमुस्सलाम) की कौमों की कहानियाँ सुनाता है। साथ ही, वह उनका अंजाम बताते हुए मोमिनीन के लिए अल्लाह के वादों और काफिरों व आयतों को झुठलाने वालों के लिए धमकियों का वर्णन करता है। इन सब के बीच, तौहीद (एकेश्वरवाद), नबूवत (पैगंबरी) और मआद (पुनरुत्थान) से संबंधित अन्य दिव्य ज्ञान की बातें भी बताई गई हैं।
सूरह की आखिरी आयत (11:123) में अल्लाह फरमाता है:
"وَلِلَّهِ غَيْبُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَإِلَيْهِ يُرْجَعُ الْأَمْرُ كُلُّهُ فَاعْبُدْهُ وَتَوَكَّلْ عَلَيْهِ وَمَا رَبُّكَ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعْمَلُونَ"
(और आकाशों और धरती का ग़ैब (रहस्य) अल्लाह ही के लिए है, और सारे मामले उसी की ओर लौटते हैं। तो तुम उसी की इबादत करो और उसी पर भरोसा रखो। और तुम्हारा रब उससे बेखबर नहीं है जो तुम करते हो।")
इससे पहले दो आयतों (11:121-122) में अल्लाह नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व आलिही) से फरमाता है कि आप अपने काम और जिम्मेदारी में लगे रहें और अपने अनुयायियों के साथ धैर्य रखें। फिर इस आयत में तीन महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं:
1. **"وَلِلَّهِ غَيْبُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ" आकाशों और धरती के सारे रहस्य अल्लाह के पास हैं। जो कुछ भी छिपा हुआ है, उसका ज्ञान केवल अल्लाह को है, न कि उन मूर्तियों को जिन्हें वे शिर्क (भागीदार ठहराना) करते हैं, और न ही उन कारणों को जिन पर वे भरोसा करते हैं।
2. "وَإِلَيْهِ يُرْجَعُ الْأَمْرُ كُلُّهُ" सारे मामले अल्लाह ही की ओर लौटते हैं। लोग समझते हैं कि वे अपने प्रयासों से हालात को अपने पक्ष में कर लेंगे, लेकिन सच यह है कि सारी सत्ता अल्लाह के हाथ में है। वही ग़ैब से वह नतीजा निकालेगा जो उसने चाहा और जिसकी खबर दी है। इसलिए, हे पैगंबर! आप निश्चिंत रहें, क्योंकि समय आपके पक्ष में है।
3. "فَاعْبُدْهُ وَتَوَكَّلْ عَلَيْهِ" अल्लाह की इबादत करो और उसी पर भरोसा रखो। यहाँ पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व आलिही) की पूरी जिम्मेदारी को दो शब्दों में समेट दिया गया है: इबादत (बंदगी)और तवक्कुल (भरोसा)।
सारांश:
- अल्लाह के ग़ैब (रहस्य) के ज्ञान पर विश्वास।
- अल्लाह की ताकत और उसके हुक्म (आदेश) पर भरोसा।
- अपनी जिम्मेदारी (इबादत) निभाते हुए अल्लाह पर पूर्ण भरोसा (तवक्कुल)।
- यह याद रखना कि अल्लाह आपके कर्मों से बेखबर नहीं है।
"और तुम्हारा रब उससे बेखबर नहीं है जो तुम करते हो।" (11:123)
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