أَلَمْ يَرَوْا كَمْ أَهْلَكْنَا مِنْ قَبْلِهِمْ مِنْ قَرْنٍ مَكَّنَّاهُمْ فِي الْأَرْضِ مَا لَمْ نُمَكِّنْ لَكُمْ وَأَرْسَلْنَا السَّمَاءَ عَلَيْهِمْ مِدْرَارًا وَجَعَلْنَا الْأَنْهَارَ تَجْرِي مِنْ تَحْتِهِمْ فَأَهْلَكْنَاهُمْ بِذُنُوبِهِمْ وَأَنْشَأْنَا مِنْ بَعْدِهِمْ قَرْنًا آخَرِينَ ﴿6﴾
क्या उन्होंने नहीं देखा कि हमने उनसे पहले कितनी पीढ़ियों को नष्ट किया, जिन लोगों को हमने वह अधिकार दिया था जो हमने तुम्हें नहीं दिया था, और हमने उन पर दया की वर्षाएँ बरसाईं और उनके पैरों के नीचे नदियाँ बहा दीं, लेकिन हमने उन्हें उनकी अवज्ञा और पाप के कारण नष्ट कर दिया, और उनके बाद एक और पीढ़ी उत्पन्न की?
وَلَوْ نَزَّلْنَا عَلَيْكَ كِتَابًا فِي قِرْطَاسٍ فَلَمَسُوهُ بِأَيْدِيهِمْ لَقَالَ الَّذِينَ كَفَرُوا إِنْ هَذَا إِلَّا سِحْرٌ مُبِينٌ ﴿7﴾
अगर हम तुम पर कागज़ पर एक किताब उतारते और वे उसे अपने हाथों से छू लेते, तो भी कृतघ्न लोग कहते, "यह तो कुछ नहीं मगर स्पष्ट जादू है।"
सूरह अनआम की आयत 6 और 7
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