क़तर की आधिकारिक समाचार एजेंसी के हवाले से इक़ना की रिपोर्ट, इस सम्मेलन में दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के हजारों कुरान हाफ़िज़ (मुहाफ़िज) के साथ-साथ कुरानिक विज्ञान और पाठ (किराअत) के विद्वानों और विशेषज्ञों ने भाग लिया।
यह अपनी तरह का पहला सम्मेलन था, जिसका उद्देश्य कुरानिक प्रमाणपत्रों (इजाज़ा) की पुष्टि में कमियों की जाँच करना, उन मामलों को संबोधित करना जहाँ अयोग्य या अकुशल व्यक्तियों को प्रमाणपत्र दिए गए हैं, विशेष संस्थानों और केंद्रों के बीच सहयोग और एकीकरण को बढ़ावा देना और कुरानिक प्रमाणपत्रों की समीक्षा व पुष्टि के तरीकों का आदान-प्रदान करना था।
इस सम्मेलन के दौरान, अंतर्राष्ट्रीय कुरानिक प्रमाणपत्र (इंटरनेशनल इजाज़ा सर्टिफिकेट) योजना शुरू की गई, जिसका लक्ष्य एक सटीक पद्धति और एक स्थापित तंत्र के माध्यम से कुरानिक प्रमाणपत्रों की विश्वसनीयता और प्रामाणिकता के स्तर को बढ़ाना और कुरान के धारकों के सम्मान की रक्षा करना है।
मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव और मुस्लिम विद्वानों एसोसिएशन के अध्यक्ष शेख डॉ. मोहम्मद बिन अब्दुलकरीम अल-ईसा ने इस अवसर पर अपने भाषण में भविष्य में कुरानिक प्रमाणपत्र (इजाज़ा) जारी करने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया।
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