कोरोना महामारी के चलते 20 महीनों के बाद कल तेहरान में पहली जुमे की नमाज़ आयोजित की गई।
कल जुमे की नमाज़ में मुसलमानों के सभी सम्प्रदायों के बीच एकता की अपील की गई और इसे मुसलमानों का सबसे बड़ा हथियार क़रार दिया गया।
ग़ौरतलब है कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) के शुभ जन्म दिवस के अवसर पर एकता सप्ताह मनाया जा रहा है, जो रविवार तक जारी रहेगा।
जुमे के ख़त्बे से पहले भाषण देते हुए लेबनान के मुस्लिम विद्वानों की सभा के प्रमुख शेख़ ग़ाज़ी युसुफ़ हनीना ने तकफ़ीरी आतंकवादी गुट दाइश के ख़िलाफ़ लड़ाई में लेबनानी जनता के समर्थन के लिए ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई का आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि धार्मिक मतभेद मुसलमानों के बीच दुश्मनी का कारण नहीं बनने चाहिए।
तेहरान के इमामे जुमा मोहम्मद जवाद हाज अली अकबरी ने जुमे के अपने ख़ुत्बे में कहा कि मुस्लिम उम्मह के बीच एकता का मुद्दा कोई सतही मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक रणनीति और एक बुनियादी बात है।
उन्होंने पिछले 20 महीनों के दौरान ईरानी जनता पर अमरीकी अत्याचारों का भी उल्लेख किया और कहा कि कोरोना महामारी से जब देश जूझ रहा था तो अमरीका अपने प्रतिबंधों को अधिक कड़ा कर रहा था।
स्रोतः अहलुल-बैत (अ.स)न्यूज़ ऐजेंसी,