सोचा और विज्ञान समूह: अल्लामा सैयद शाकिर नक़वी, प्रसिद्ध धार्मिक विद्वान, नाज़मिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, फलसफे के प्रोफेसर, मनतिक़ और कुरान के मुफस्सिर का भारत के शहर लखनऊ में स्थित चिकित्सालय"एराज़" में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया
ईरानी कुरान समाचार एजेंसी(IQNA)शाखा पश्चिम और दक्षिण पश्चिम एशिया क्षेत्र के अनुसार, अल्लामा शाकिर नक़वी का 85 साल की उम्र में, 4 जुलाई बुधवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया
अल्लामा मरहूम शहर अमरोहा में 1927 में पैदा हुए और उन्होने शुरू की तालीम धार्मिक मदरसे"सय्यदुल मदारिस" में हासिल की उसके बाद 1943 में मदरसे नाज़मिया में दाख़िला ले लिया और इल्मी दौरे गुज़ारने के बाद इसी धार्मिक मदरसे में शिक्षा देने लगे
अल्लामा नक़वी ने अपने जीवन में कई किताबें अरबी भाषा में लिखीं जैसे"अल ज़फरा अलत तुग़रा" "रोयतुल हिलाल" "तफसीरूल क़ुरान फिल काफी,"क़िबलतुल बिलाद" शेख़ मुर्तज़ा अंसारी की वर्णन "फराएदुल उसूल रसायल" अल शेख़ बहाउद्दीन अंसारी की अल हाशियतो अलल वजीज़ा सहित क़ाबिले ज़िक्र हैं और कई पुस्तकों का अनुवाद किया है जिनमें से मुल्ला महमूद जौनपूरी,की"अल शम्स अल बलाग़ा" मोहक़्क़िक़ तूसी की अल तसरीह फी तशरीहिल अफलाक़, "शरह तजरीद" मिसबाहुल अरबिया" और "मिसबाह फ़ारसी" क़ाबिले ज़िक्र हैं
अल्लामा नक़वी ने इसके साथ साथ बेशुमार शागिर्दों की तर्बियत भी की जो आज भारत के अंदर और भारत के बाहर हज़ारों की संख्या में दीन की तबलीग़ कर रहे हैं
गुरूवार 5 जुलाई, को अल्लामा नक़वी के जनाज़े को शहर अमरोहा में दफन कर दिया गया
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