इकना ने अल-कफ़ील के अनुसार यह पुस्तक "करीम हुसैन नासेह अल-ख़ालेदी" द्वारा लिखित, पवित्र हरमे हज़रत अब्बास (अ0) की कुरानिक वैज्ञानिक सोसायटी से संबद्ध कुरानिक अध्ययन एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा अरबी में प्रकाशित की गई थी।
इस कृति में, लेखक पैगम्बर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के जीवनकाल और उनके बाद से लेकर आज तक की घटनाओं पर गहन दृष्टि डालते हुए उनके विचारों और वैचारिक दृष्टिकोणों की व्याख्या करते हैं।
यह पुस्तक उन घटनाओं और घटनाओं की ओर ध्यान आकर्षित करती है जिन्होंने इस्लामी समुदाय के सदस्यों के बीच संबंधों और रिश्तों को नष्ट कर दिया है और इन समस्याओं के समाधान के लिए महत्वपूर्ण समाधान प्रस्तुत करती है।
लेखक "केंद्रीयता" शब्द के बारे में गलत धारणा को भी चुनौती देता है, जो अपने आधुनिक अर्थ में आपत्तिजनक हो सकती है। इसी के चलते लेखक ने केंद्रीयता की एक नई अवधारणा प्रस्तुत की है और सर्वशक्तिमान ईश्वर और पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के बीच संबंधों की प्रकृति को स्पष्ट किया है।
उल्लेखनीय है कि पवित्र हरमे हज़रत अब्बास (अ0) की वैज्ञानिक कुरानिक सोसाइटी ने अब तक कई इस्लामी पुस्तकें प्रकाशित की हैं, और पैगंबर और अहल अल-बैत (अ.स.) के जीवन पर नई कृतियाँ प्रकाशित करके, यह उनके महान मूल्यों को पुनर्जीवित करने और उन्हें भावी पीढ़ियों के सामने एक नए अंदाज़ में प्रस्तुत करने का प्रयास कर रही है।
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