ईरानी कुरान समाचार एजेंसी (IQNA) की रिपोर्ट के अनुसार आयतुल्लाहिल उज़मा मज़ाहिरी के उन्नीसवीं, इक्कीसवीं और 23वीं की रातों में जारी बयानों का फारसी पाठ और ऑडियो रिकॉर्डिंग जनाब के कार्यालय की सूचना एजेंसी वेब साइट पर अपलोड कर दी गई है.
उन्नीसवीं रात आपने फ़रमाया: ख़ुदा वन्दे आलम की एक बहुत बड़ी नेमत तौबा की स्वीकृति है क्योंकि अगर इंसानों की तौबा स्वीकार्य ना होती तो सब के सब मनुष्य नरक में जाते अगर गुनहगार वास्तविक तौबा कर ले तो न केवल यह कि उसके पाप धुल जाते हैं बल्कि उस की बुराइयाँ नेकियों में परिवर्तित हो जाती हैं जैसे कुरआन के इस आयत में इरशाद है:
« إِلَّا مَن تَابَ وَآمَنَ وَعَمِلَ عَمَلًا صَالِحًا فَأُوْلَئِكَ یُبَدِّلُ اللَّهُ سَیِّئَاتِهِمْ حَسَنَاتٍ »
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