सादिक़ आईनावंद,मुदर्रिस प्रशिक्षण विश्वविद्यालय के इस्लामी इतिहास के प्रोफेसर ने, ईरानी कुरान समाचार एजेंसी (IQNA) के साथ एक साक्षात्कार में, इमाम Sadeq (अ.स) के वैज्ञानिक और सांस्कृतिक क्रांति और इस्लामी धर्मों की निकटता में उनकी भूमिका के संदर्भ में अपने भाषण में कहा: इमाम सादिक (अ.स.)के समय में विशेष ऐतिहासिक परिस्थितियों के कारण आप को अवसर मिला कि बनी उमय्यह व बनी अब्बास के आपस में संघर्ष के चलते और उनकी सरकार के कमजोर होने के कारण वैज्ञानिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को अंजाम दें क्योंकि बनी उमय्यह व बनी अब्बास की ओर से इमाम और उनके कार्यों पर नियंत्रण रखने के चांस कम थे.
उन्होंने कहाःइसीलिए इमाम अ.स.अपने पूरे बजूद के साथ इस अवसर को इस्तेमाल किया और छात्रों को शिक्षित करने के लिए हिम्मत जुटाई ताकि बौद्धिक, सांस्कृतिक, मार्गदर्शन, न्यायशास्त्र, और धर्मशास्त्र के सभ पहलुओं ब्यापक सफलता प्राप्त कर लें इसी कारण इमाम को जाफरी धर्म का संस्थापक कहा गया है कि जो अवसर इमाम सज्जाद (अ.)के समय से मिला और इमाम बाकिर (अ.स.)तक जारी रहा था आप को पूरा विस्तृत अवसर मिल गया था.
मुदर्रिस प्रशिक्षण विश्वविद्यालय के इस्लामी इतिहास के प्रोफेसर ने बयान किया कि पांच जिल्दी पुस्तक, "अल इमामुस सादिक़ और अल मज़ाहिबुल अरबाअ" स्वर्गीय असद हैदर की लिखी जिसका फारसी में आठ खंडों में अनुवाद हुआ है बेहतरी कार्यों से है अहलेबैत(अ.स)के प्रशंसकों विशेष रूप से इमाम Sadeq (अ.स) के अनुयायियों को विशेष रूप से इमाम का इस्लामी धर्मों के साथ बर्ताव और सन्निकटन में उनकी भूमिका पर ध्यान देना चाहिऐ.
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