ईरानी कुरान समाचार एजेंसी (IQNA), इस पुस्तक में, इस्लामी सरकार और अन्य देशों के बीच संबंधों में सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत और मुद्दे जैसे शांति व युद्ध, सरकार और उस के अंग, इस्लाम में अंतरराष्ट्रीय संबंधों, जिहाद और हुक्मे जिहाद और उसके कारणों संघर्षों से संबंधित मुद्दों,युद्ध के अंत के तरीक़े और लोगों पर उसका प्रभाव,समझौते और इस्लामी देशों के आंतरिक संबंधों तथा अन्य कई मुद्दों पर चर्चा की गई है
लेखक का प्रयास यह है कि किताब और सुन्नत तथा ख़ुलफ़ा के व्यवहार जैस स्रोतों का उपयोग करे ता कि इस रास्ते से सुबूत के साथ इस्लाम के सिद्धांतों और इस्लामी ढांचे में अंतरराष्ट्रीय संबंधों की रूप रेखा को समझाने में सफलता प्राप्त करे,लेखक की कोशिश है कि इस्लाम सभी गुण और सकारात्मक बिंदुओं को समस्याओं के साथ आमने सामने बयान करे विशेष रूप से वर्तमान युग में जब कि अहंकारी व घमंडी शक्तियां समाज के कमजोर और गरीब तब्क़े पर अत्याचारों को जाएज़ समझती हैं और मानव सिद्धांतों को नजरअंदाज करके बातिल,प्राकृतिक और अनैतिक विचारों तथा सेक्सी व नफ़्सानी मामलों के साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ग़ैर वास्तविक्ता की ओर लेजारही हैं.
"इस्लामी न्यायशास्त्र में अंतरराष्ट्रीय संबंध" पुस्तक पांच भागों और 26 अध्यायों पर लिखी गयी है: पहला खंड "कुल्लियात" के शीर्षक के साथ पुस्तक के पहले सात अध्यायों को अपने अंदर लिऐ है.
दूसरा खंड, युद्ध के दौर में इस्लामी विदेशी संबंध" के शीर्षक के साथ 8 से 13 अध्यायों को अपने अंदर लिऐ है.
तीसरा खंड, "युद्ध और मानकों की रिआयत" के शीर्षक के साथ 13 से 20 अध्यायों को अपने अंदर लिऐ है.
चौथा खंड "युद्ध का अंत और लोगों और संपत्ति पर इसके प्रभाव" के शीर्षक के साथ 21 से 23 अध्यायों को अपने अंदर लिऐ है.
पांचवां खंड "इस्लाम में शांति," के शीर्षक के साथ 24 से 26 अध्यायों को अपने अंदर लिऐ है.
याद रहे किताब "इस्लामी न्यायशास्त्र में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों" लेखक आरिफ खलील अबूअब्द, अदनान शोधकर्ता द्वारा अनुवादित, 384 पृष्ठों में, 105 हज़ार Rials की कीमत पर किताबचे की सूरत में पहली बार इमाम सादिक (अ.स) विश्वविद्यालय की ओर से प्रकाशित की गई है.
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