ईरानी कुरान समाचार एजेंसी (IQNA) ने वेबसाइट «हिंदू»से उद्धरण किया कि इससे पहले भारत में कुरान और इस्लामी साहित्य को समझना एक मुश्किल काम था और यह इस वजह से था यह पुस्तकें अरबी, फारसी, उर्दू के अलावा अन्य भाषाओं में नहीं थीं.
(विजयवाड़ा) पुस्तक मेले में कुरान और इस्लामी साहित्य को अंग्रेजी और तिलग़ु में प्रकाशित होने से काफी हद तक इस समस्या का हल हुआ है.
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