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भारत में हज़रत फातिमा ज़हरा(स0अ0) के उपदेशों को बयान किया गया

19:12 - April 21, 2013
समाचार आईडी: 2522098
सोचा समूह: उत्तर प्रदेश के राज्य में स्थित शहर लखनऊ के क़दीमी इमामबाङे मोहम्मद अली शाह में भारतीय संस्था जमाते जाफरिया की तरफ से तौहीद और विलायत की रक्षा में हज़रत फातिमा ज़हरा(स0अ0) के उपदेशों का अध्ययन किया गया.
अंतर्राष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी(IQNA) शाखा पश्चिम और दक्षिण पश्चिम एशिया क्षेत्र की रिपोर्ट के अनुसार इस सम्मेलन की शुरुआत शहर के एक मशहूर क़ारी द्वारा क़ुरान मजीद की आयतों की तिलावत से हुई उसके बाद देश के धार्मिक विद्वानों में से हुज्जतुल इस्लाम सय्यद मोहम्मद आबदी ने हज़रत फातिमा ज़हरा(स0अ0) के बारे में पैगंबर मुहम्मद (स0अ0) की हदीस की तरफ इशारा करते हुए कहा कि ऐ फातिमा(स0अ0) वास्तव में तुम्हारी नाराज़गी अल्लाह की नाराज़गी है और तुम्हारी खुशी अल्लाह की खुशी है चर्चा करते हुए कहा कि पैगंबरे अकरम (स0अ0) की मौत के बाद, हज़रत फातिमा ज़हरा(स0अ0) का मुख्य उपदेश अधिकार और विलायत की रक्षा था.
उन्होने आगे कहा कि इस्लाम की इस महान महिला ने अपने उपदेशों में निम्नलिखित मुद्दों जैसे एकेश्वरवाद, रिसालत, नुबूव्वत और शरीअत की निगाह से व्यापार के मुद्दों को भी बयान किया है.
हुज्जतुल इस्लाम सय्यद मोहम्मद आबदी ने यह ख़ुतबा पढा "लोगों जान लो कि मैं फातिमा (स0अ0) हूं और मेरे पिता मुहम्मद(स0अ0) हैं अंत में, जैसा कि मैंने कहा, कि मैं बुरा शब्द नहीं कहूंगी और ज़ुल्म व सितम नहीं करूंगी" हज़रत फातिमा ज़हरा(स0अ0) का यह ऐतिहासिक धर्मोपदेश जिसमें विलायत की रक्षा, ज़ालिम को मज़लूम से अलग और लोगों के साथ अल्टीमेटम के साथ ख़तबा खत्म किया.
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