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अफगानिस्तान में दाअश की उपस्थिति पर चिंता/ दाअश के खिलाफ मुसलमानों को ऐकजुट करना विद्वानों की ज़िम्मेदारी

17:43 - February 14, 2015
समाचार आईडी: 2850620
विदेशी विभाग: अफगानिस्तान के सेकेंड कार्यकारी उपाध्यक्ष ने इस देश में दाअश की उपस्थिति पर चिंता के साथ बल दिया: आज सभी मुसलमानों को दाअश के खिलाफ लामबंद करना इस्लामी विद्वानों का मुख्य व बुन्यादी कार्य है

अंतर्राष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी (IQNA) समाचार एजेंसी आवा के अनुसार, इस्लामी एकता में धार्मिक विद्वानों की भूमिका पर सम्मेलन अफगानिस्तान के सेकेंड कार्यकारी उपाध्यक्ष, देश के आव्रजन मंत्री, सांसदों,संसद के प्रतिनिधियों, प्रांतीय परिषद के सदस्यों,इस्लामी भाईचारा परिषद के सदस्यों, सुन्नी और शिया उलेमा काउंसिल के सदस्य और सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं की उपस्थित के साथ षक़लैन सांस्कृतिक और सेवा संस्थान की ओर से शहर "मज़ार शरीफ़" अफगानिस्तान में आयोजित किया गया.
इस सम्मेलन में मोहम्मद मुहक़्क़िक़, अफगानिस्तान के सेकेंड कार्यकारी उपाध्यक्ष ने भाषण के दौरान कहाःधार्मिक विद्वानों ने हर युग व समय में अपनी भूमिका को अच्छी तरह पूरा किया है,इस्लामी विद्वानों ने 36 वर्ष पहले बहतरीन भूमिका निभाई थी और सोवियत सेना के ख़िलाफ़ सभी अफ़गान लोगों की ऐकता व ऐकजुटता विद्वानों का प्रयास और स्थित व कड़ी मेहनत का उत्पाद था.
उन्होंने कहाःयह धार्मिक विद्वान थे कि कब्जे के खिलाफ मुक्ति आंदोलन का नेतृत्व किया और 14 वर्षों के बाद विश्व की हैरत ज़दह आँखों के सामने अफगान राष्ट्र को एक हीरो के रूप में पेश किया.
अफगानिस्तान के सेकेंड कार्यकारी उपाध्यक्ष ने कहाः आज एक नए सत्र में, इस्लाम के दुश्मनों ने दाअश के कपड़ों में अपने अभियान को शुरू किया है और अपना नाम इस्लामी राज्य रखा कि इस समूह के असली चेहरे का दुन्या को परिचय कराना मुश्किल है.
उन्होंने कहाः यह समूह अफगानिस्तान में जड़ें लगा रहा है  , हम सब को सचेत रहना चाहिए ता कि उनके विज्ञापनदाताओं के सामने जागरूकता के साथ काम करें, इस्लामी विद्वानों की जिम्मेदारी है ता कि इस आंदोलन के मुक़ाबिल जिम्मेदारी और होश के साथ कार्रवाई शुरू हो.
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