अंतर्राष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी (IQNA)आवा समाचार ऐजेंसी के अनुसार, पाकिस्तानी संसद के पप्रनिधियों ने एक विशेष बैठक में जो सऊदी अरब के अनुरोध पर यमन के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तानी सेना के भाग लेने की समीक्षा करने के लिए बुलाई गई थी इस के खिलाफ मतदान किया.
पाकिस्तानी संसद द्वारा इस योजना के खिलाफ मतदान इस हाल में है रियाज़ ने इस्लामाबाद पर बहुत दबाव डाला कि पाकिस्तान को इस युद्ध में भाग लेने के लिए आश्वस्त करे.
इससे पहले, ख्वाजा आसिफ़, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने कहा था कि सऊदी अरब चाहता है कि पाकिस्तानी जहाज,जल व थल सेना यमन में युद्ध की शरीक हो.
शिरीन मजारी, पाकिस्तान की संसद में विपक्ष के एक प्रतिनिधि ने इस संबंध में कहाः यमन में युद्ध हमारा युद्ध नहीं है, हम सरकार को सलाह देते हैं कि पाकिस्तानी सेना को यमन नहीं जाना चाहिए,हमें एक मुस्लिम राष्ट्र के रूप में पवित्र स्थानों की खतरों के खिलाफ रक्षा करना चाहिए और आज इस तरह का कोई खतरा नहीं है.
ताहिर हुसैन Mashhadi, पाकिस्तान विरोधी सीनेटर, ने भी सऊदी अरब द्वारा यमन के खिलाफ आक्रामकता की निंदा करते हुऐ कहाःहमलावर सऊदी हैं और पीड़ित, यमनी नागरिक हैं हमलावरों ने पाकिस्तान से जो एक संप्रभु देश है से अनुरोध किया है कि सऊदी की सैन्य मदद करे.
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी संसद ने सोमवार से सऊदी अरब के अनुरोध यमन आक्रमण पर पाकिस्तानी सेना की मदद के लिए समीक्षा शुरू कर दी थी.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का यह विश्वास है कि सऊदी अरब के रूप में जाने जाते गठबंधन में पाकिस्तान का शामिल होना, इस देश में सांप्रदायिक संघर्ष आग को गति प्रदान कर सकता जब कि देश का पांचवां हिससा शियाओं पर शामिल है.
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