अंतर्राष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी (IQNA) समाचार पत्र "डेली सबा" के अनुसार,यह तहक़ीक़ी केंद्र दुनिया के भरोसेमंद पुस्तकालयों और संग्रहालयों से पवित्र कुरान के पुराने पांडुलिपि संस्करणों का संकलन करके प्रकाशन के साथ उनको डिजिटल कर रहा है.
हालेत ऐरून इतिहास, कला और संस्कृति के अनुसंधान केंद्र (Arsyka) के महानिदेशक के अनुसार यह केंद्र 2005 से पवित्र कुरान के पुराने संस्करणों को इकट्ठा और प्रकाशित करने में लगा है.
उन्होंने कहाः अनुसंधान से प्रकाशन तक, एक समिति पांडुलिपि पृष्ठों पर काम की निगरानी करती है.
उन्होंने कहाः कि इन पुराने संस्करणों के उच्च मूल्य होने के कारण उनका एकत्र करना आसान नहीं था, उसमें सबसे मुश्किल महान कुरान "मश्हदुल हुसैन» हलब था जो बाद में काहिरा में पांडुलिपियों के संग्रहालय के लिए स्थानांतरित किया गया फिर मिस्री अधिकारियों के साथ बातचीत के बाद यह संस्करण हमें दिया गया.
इतिहास, कला और इस्लामी संस्कृति रिसर्च सेंटर (Arsyka) के महानिदेशक ने आगे बतायाःउस के बाद इस पर गहन अनुसंधान किया गया फिर हम कामयाब हुऐ कि इमाम अली[अ.]से संबंधित दूसरे संस्करण को साना यमन की राजधानी से यहाँ ले आऐ.
उन्होंने कहा कि इन कुरानों की महत्वता जो सबसे पहले संस्करण लिखे गऐ हैं इस में है कि यह दर्शाता है कुरान में कोई परिवर्तन नंही हुआ है.
इस्लामी सहयोग संगठन से संबंधित इतिहास, कला और इस्लामी संस्कृति अनुसंधान केंद्र (Arsyka) के महानिदेशक के अनुसार, यह संस्करण कला, सुलेख और कागज के प्रकार और बाध्यकारी के कारण महत्वपूर्ण हैं.
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