ऐक नाइजीरियाई के शिया होने की कहानी
अंतरराष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी (IQNA) सांस्कृतिक नेटवर्क अल-वाडी के हवाले से, शेख अली युसुफ, नाइजीरियाई शिया है कि धर्मों का अध्ययन करने के बाद इस्लाम और फिर Shiism में परिवर्तित होगया, वह अपने शिया होने की कहानी इस तरह बयान करता है:
जब मैं ईसाई था अपने एक गहरे दोस्त द्वारा ईसाई धर्म का अध्ययन करना शुरू किया, मेरे दोस्त ने ईसाई किताबों के साथ धर्मों के बारे में कई किताबें लाया ता कि पढ़ूं, मैंने एक दिन उस से पूछा कि क्या संभव है कि एक कुरान फ्रेंच भाषा में मेरे लिऐ लाओ?
मेरे दोस्त ने कहा: हाँ, और फिर एक प्रति फ्रेंच अनुवाद की मुझे ला कर दिया और मैं ने पेज पर पेज कुरान पढ़ना शुरू किया, महसूस किया कि इस किताब के शब्द सर्वशक्तिमान ईश्वर के अलावा अन्य किसी के नहीं हो सकते हैं, मैं जानता था कि इंजील,ने "मुहम्मद"नाम के पैग़म्बर की भविष्यवाणी की है।
इस बिना पर मैं ने अध्धयन और क़ुरान में तहक़ीक़ के बाद इस्लाम को क़ुबूल कर लिया जैसा कि मैं हमेशा हक़ीक़त की तलाश में रहता था और कोई दिन अपना अध्धयन और तहक़ीक़ के बिना नहीं जाने देता था तो इस्लाम और उसके अंदर धर्मों का गहरा व डीप अध्धयन करने लगा,मैं शुरू में मुसल्मान हुआ व सुन्नी था।
इस अध्ययन और सत्य के प्रेम के क्रम में, मैं एक गांव गया। वहाँ कुछ दोस्तों के साथ हमारे सवालों में से कुछ की व्याख्या करने के लिए "मुबारक" नामी सुन्नी शेख के पास गया, उनसे मैं Shiism के बारे में थोड़ा बहुत बात करना और हम अस्पष्टता को सुलझाना चाहा था।
अली यूसुफ़ ने आगे कहाःजब मैं ने शेख़ के सामने अपने सवाल रखे तो मुझसे कहाः मैं इस धर्म के बारे में बात नहीं करना चाहता,इस धर्म के मानने वाले काफ़िर हैं इस क़ुरान के अलावा दूसरा क़ुरान रखते हैं इसी बीच ऐक दोस्त ने उनसे कहाः आप हमें वह कुरान दिखा सकते हैं, मुबारक अली ने कहाःअगली बार जब आप मेरे पास आऐंगे, शियाओं का कुरान आप को दिखाऊंगा,मैं दोबारा उनके पास गया लेकिन इस शेख़ ने दावा किया मेरे पुस्तकालय में वह क़ुरान नहीं है शायद कोई लेगया... मुझे उसकी बातों पर शंका हुई बाद में मालूम हुआ कि न कोई दूसरा क़ुरान है और न शिया काफ़िर हैं।
इस नाइजीरियाई शिया ने बात जारी रखते हुऐ कहाः इस घटना के बाद भगवान से चाहा जैसा कि तू ने मुझे सही रास्ते और इस्लाम की ओर हिदायत की,इस बार भी मुझे सच्चे और हक़ीक़ी मज़हब की रहनुमाई कर,यदि हक़ व हक़ीक़त सुन्नी मज़हब में है तो उस पर स्थिर और दृढ़ रख, और अगर शिया मज़हब हक़ है तो मुझे उसकी ओर रहनुमाई कर।
उन्होंने कहा: उसी रात कि यह प्रार्थना की थी मैं ने एक अजीब सपना देखा, सपने में शेख़ सुन्नी (मुबारक)के पास गया और मैं इंतजार कर रहा था कि आऐ,जब आया तो उसके हाथ में पत्थर था और जब मेरे निकट हुआ, तो वह पत्थर मेरी ओर फेंक दिया इसी बीच मेरी आंख खुल गई और उसी समय मैं शिया मस्जिद से अज़ान की आवाज़ सुनी,उठा और वज़ू किया फिर उसी मस्जिद में जाकर नमाज़ सुबह पढ़ी वापसी के समय उस सपने के बारे में सोचने लगा....
उसी दिन अहलेबैत अ. के पुस्तकालय गया और विभिन्न पुस्तकों को पढ़ना शुरू किया और फिर भगवान की मदद से अहम्दो लिल्लाह शिया हक़ मज़हब में परिवर्तित होगया।