
IQNA की रिपोर्ट वैश्विक चैनल कफ़ील की वेबसाइट के मुताबिक, यह सम्मेलन कल 29 मार्च को अब्बासी और हुसैनी आस्तानों की भागीदारी के साथ, पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में कौषर इस्लामिक यूनिवर्सिटी में आयोजित किया गया।
ययह सभा, हाज आदिल करबलाइ, अब्बसी और हुसैनी के पवित्र रौज़े के क़ारि और मोअज़्ज़िन,की तिलावत के साथ शुरू हुई और इस्लामिक जनजातियों और धर्मों के सन्निकटन के बीच के अंतराल को कम और विभाजनकारी कार्यों का सामना करना सभा के उद्देश्यों में है।
इस्लामिक संप्रदायों और धर्मों के बीच अलगाववाद और सांप्रदायिकता से बचना, इस्लाम के ढांचे को बनाए रखने और इस्लाम की छवि के भ्रम को रोकने में मुस्लिम विद्वानों और दानिशमंदों के मिशन में शियाओं की केंद्रीय भूमिका पर बल देना ऐसे विषय हैं जिनपर सभा में चर्चा व बहस हौगी।
अब्बसी और हुसैनी पवित्र रौज़े की ओर से, नजफ़ अशरफ़ के विद्यालय के प्रोफेसर सैय्यद मोहम्मद अली हल्वु, ने इस सभा में आतंकवादियों जो राजद्रोह और विभाजन बनाने की कोशिश कर रहे हैं का सामना करने के लिए अभिसरण और एकता की आवश्यकता पर जोर दिया ।
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