
भारत से IQNA की रिपोर्ट के अनुसार,यह सम्मेलन (कल (9 जून)) को भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में कारगिल के शिया आबादी वाले शहर में आयोजित किया गया और प्रतिभागियों ने इस समारोह में इमाम ख़ुमैनी की स्मृति का जश्न मनाया।
इस समारोह में कुछ प्रमुख ईरानी हस्तियों ने भी शिरकत की, जिनमें हुज्जतुल इस्लाम मुहम्मद रज़ा सालेह, भारत में अल-मुस्तफ़ा अल-आल्मिया सोसायटी के निदेशक, एहसानुल्लाह शुक्रल्लाही, दिल्ली में फ़ारसी भाषा अनुसंधान केंद्र के प्रमुख, और सादी फ़ाउंडेशन के प्रतिनिधि, मेहदी ख़्वाजापीरी दिल्ली में संस्थापक और नूर माइक्रोफिल्म सेंटर के प्रमुख और हुसैन खुरयानी अल-मुस्तफा अल-आलमीयह सोसाइटी प्रतिनिधि के उप-वित्त थ और भारत के सबसे उत्तरी हिस्से में स्थित व जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में लदाख़ के उलमा भी शामिल हुऐ।
कारगिल के लोगों ने विश्व अहंकार की शत्रुता और प्रतिबंधों के ख़िलाफ़ ईरानी लोगों के प्रतिरोध और खड़े हो जाने की सराहना की और इस्लामी क्रांति के संस्थापक की राह को जारी रखने पर ज़ोर दिया।
गौरतलब है कि कारगिल के लोग 800 से अधिक वर्षों से शिया बने हैं और इस्लामी क्रांति की जीत के साथ इमाम ख़ुमैनी स्कूल ने पालन कर्ता हैं।
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