अंतरराष्ट्रीय समूह- Independent अखबार ने एक विश्लेषण में, ईरान और कमांडर क़ासिम सुलेमानी के बारे में अमरीका के लोगों के विचारों के लिऐ अमेरिकी अधिकारियों के बयानों को बहुत सादा व अहमकक़ाना बताया और इस दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

IQNA की रिपोर्ट; Independent समाचार पत्र ने मैक्सिकन प्रायद्वीप में युकाटन विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रोफेसर कार्ली पियर्सन के एक विश्लेषण को प्रकाशित करते हुए लिखा है: हाल के दिनों में बहुत सी खबरें ईरान और इराक़ के घटनाक्रम के बारे में प्रकाशित हुई हैं। सरदार सुलेमानी की मौत पर शोक व्यक्त करने के लिए हजारों लोग शुक्रवार को तेहरान की सड़कों पर उतर आए जो शुक्रवार को प्रतिनिधिमंडल के रूप में इराक गए थे वहां अमेरिकी आतंकवादी सैनिकों द्वारा मारे गए। रविवार को, इराकी संसद ने अमेरिकी सैनिकों को देश से बाहर निकालने का फैसला किया, और ईरानी सरकार ने ऐटमी समझौते पर सभी प्रतिबंधों को समाप्त करने की घोषणा की।
इस लेखक ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने 2018 में ईरान की बैलिस्टिक मिसाइल समस्या और क्षेत्रीय घटनाक्रम में इसकी भूमिका के बहाने समझौते से हट गया। उन्होंने न्यू जर्सी में रटगर्स विश्वविद्यालय में मध्य पूर्व के प्रोफेसर निदा बेल्चर के साथ एक साक्षात्कार का हवाला देते हुऐ, कि संयुक्त राज्य अमेरिका के समझौते से निकलने के बाद, कहा कि ईरान को नाराज होने का अधिकार है। तेहरान ने अच्छे विश्वास में पी 5 + 1 वार्ता में भाग लिया, लेकिन अब, यूएस की बदअहदी के कारण, अब समझौते के सभी हितों से लाभ नहीं उठा सकता है।
पियर्सन ने अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ द्वारा इस शीर्ष ईरानी सैन्य अधिकारी की हत्या के लिए दिऐ गऐ justifications में कि यह कार्वाई सुलेमानी की ओर से इराक में अमेरिकी सैनिकों को मारने की योजना को रोकने के लिऐ की गई, लिखा: "पोम्पेओ ने अपने आरोप पर कोई सबूत नहीं दिया और ईरानी सांस्कृतिक स्थलों पर हमला करने की ट्रम्प की धमकी को जिनेवा कन्वेंशन के पैराग्राफ 38 और 40 द्वारा युद्ध अपराध में शामिल है।
दूसरी ओर, ब्लेंचर इराक़ में सुलेमानी की भूमिका के बारे में कहते हैं कि सुलेमानी जब अमेरिका ने 2014 में अपने सैनिकों को इराक़ से निकाल लिया था आईएसआईएस से लड़ रहा है ।
पियर्सन ने आगे कहा कि अमेरिकी अधिकारी इस इस देश के लोगों को विश्व घटनाक्रम के बारे में सबसे आसान गणना देते हैं। उनका दावा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया भर में लोकतंत्र को बढ़ावा दे रहा है, और ईरान एक शत्रुतापूर्ण और चरमपंथी देश है। हालांकि, अमेरिका वर्ष 11953 से मुसद्दिक़ की वैध सरकार के खिलाफ विद्रोह की मदद से ईरानी मामलों में दख़ालत करता रहा है।
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