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एकता कोई अस्थायी रणनीति नहीं है, यह एक शाश्वत कुरानी सिद्धांत है / वार्षिक एकता सम्मेलन पर्याप्त नहीं हैं, एकता को निरंतर व्यावहारिक प्रयास की आवश्यकता है: इस्लामी क्रांति के नेता

11:43 - October 25, 2021
समाचार आईडी: 3476562
तेहरान(IQNA)इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता, अयातुल्ला सैय्यद अली ख़ामेनई ने एकता को एक शाश्वत कुरानी सिद्धांत और कर्तव्य कहा।
इस्लामी एकता पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के राष्ट्रीय और विदेशी मेहमानों को संबोधित करते हुए, इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला सैय्यद अली खामेनेई ने एकता को कुरान का सिद्धांत और कर्तव्य कहा।
 
आपने कहा कि समय की आवश्यकता के संदर्भ में यह कोई सामरिक मुद्दा नहीं है।
 
ग्रैंड अयातुल्ला सैय्यद अली ख़ामेनई ने कहा कि मानव जीवन के सभी चरणों में इस्लाम की व्यापकता की व्याख्या और प्रचार के साथ-साथ मुसलमानों के बीच एकता को मजबूत करना मुस्लिम उम्मह के दो सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य हैं। उन्होंने कहा कि इस्लामी एकता कुरान का सिद्धांत और कर्तव्य है और शिया और सुन्नी के बीच एकता के बिना एक नई इस्लामी सभ्यता की स्थापना का सर्वोच्च लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता है।
 
इस्लामी क्रांति के नेता ने कहा कि इस्लामी धर्मों के बीच दूरियों और इन दूरियों को बढ़ाने के लिए दुश्मनों के अथक प्रयासों के कारण, हमने बार-बार एकता का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि आज शिया और सुन्नी शब्द अमेरिकी राजनीतिक शब्दावली और भाषा में प्रवेश कर चुके हैं, भले ही अमेरिका इस्लाम की नींव के खिलाफ और शत्रुतापूर्ण है।
 
ग्रैंड अयातुल्ला सैय्यद अली ख़ामेनई ने इस्लामिक दुनिया में कलह बोने के लिए अमेरिका और उसके सहयोगियों के प्रयासों का जिक्र करते हुए कहाः कि अफगानिस्तान की मस्जिदों में मुसलमानों और उपासकों की दर्दनाक और अश्रुपूर्ण विस्फोट ऐसी त्रासदी थी कि आईएसआईएल ने जिम्मेदारी स्वीकार कर ली है और अमेरिकी खुले तौर पर स्वीकार करते हैं कि उन्हों ने आईएसआईएल बनाया है। उन्होंने इत्तेहाद-ए-इस्लामी की वार्षिक सभाओं और सम्मेलनों को अपर्याप्त बताया और कहा कि एकता के लिए स्थायी प्रयासों की आवश्यकता है जिसमें शिया और सुन्नी मुसलमान एक साथ भाग लें और एक दूसरे की मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थानों और सभाओं में उपस्थित हूं।
 
इस्लामी क्रांति के नेता ने फिलिस्तीन के मुद्दे को मुसलमानों के बीच एकता का केंद्रीय बिंदु बताया और कहा कि फिलिस्तीनियों के अधिकारों की सर्वोच्चता के लिए जितने ठोस और गंभीर प्रयास किए जाएंगे, इस्लामी एकता उतनी ही मजबूत होगी। ग्रैंड अयातुल्ला सैय्यद अली ख़ामेनई ने कुछ देशों के इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य करने के प्रयासों को एक महान पाप और एक बड़ी गलती बताया और कहा कि इन सरकारों को इस्लामी एकता के विपरीत रास्ता छोड़ देना चाहिए और अपनी गलती ठीक करने का प्रयास करना चाहिए।
 
अपने भाषण के अंत में, इस्लामी क्रांति के नेता ने इस्लाम के पैगंबर हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा (PBUH) के अच्छे उदाहरण का पालन करने पर जोर दिया और कहा कि अगर हम मुस्लिम होने का दावा करते हैं, तो हमें अपन महान पैगंबर के नक्शेकदम पर चल कर दिखाना होगा।
स्रोतः अहलुल बैत (अ.स) समाचार एजेंसी।

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