कुछ लोग कुरान के मार्गदर्शन को एक विशिष्ट क्षेत्र तक सीमित रखते हैं, जबकि इस दिव्य पुस्तक के मार्गदर्शन के विभिन्न पहलू स्पष्ट हैं।
कुरान की हिदायत मानव जीवन के एक सीमित क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि मानव जीवन की संपूर्ण विशाल मैदान से संबंधित है। यानी ऐसा नहीं है कि क़ुरआन एक हिस्से में इंसान को हिदायत देता है और इंसान को उसकी ज़िंदगी के लिए ज़रूरी चीज़ों के दूसरे हिस्से में छोड़ देता है और उसको नजर अंदाज करता है।
कुरान मानव जीवन के सभी पहलुओं को देखता है; मानव के रुहानी तरक्की से लेकर, जो कि सर्वोच्च आवश्यकता है, मानव समाजों के प्रबंधन के मुद्दे और मानव समाजों को प्रबंधित करने के लिए न्याय और प्रबंधन व्यवहार स्थापित करने और विभिन्न दुश्मनों (आंतरिक दुश्मनों और बाहरी दुश्मनों) को दूर करने के लिए संघर्ष और जिहाद, नैतिकता और बच्चों की परवरिश के साथ। यह सभी कुरान द्वारा निर्देशित हैं।
क़ुरान दुश्मनी को दूर करने के बारे में कहता है: "فَاِذَا الَّذی بَینُکَ وَ بَینَه عَداوَةٌ کَاَنَّه وَلِیٌّ حَمیم: तो तुम्हारे और जिस के बीच दुश्मनी थी गोया पक्का दोस्त हो गया" (फुस्सेलत, 34)। परिवार के बारे में, वे कहता, "رَبَّنا هَب لَنا مِن اَزواجِنا وَ ذُرِّیَّتِنا قُرَّةَ اَعیُن: हमारा रब हमें हमारी पत्नियों और हमारी संतानों से आंखों की ठंडक प्रदान करेगा" (फुरकान, 74)। : اَنکِحُوا الاَیامی مِنکُم وَ الصّلِحینَ مِن عِبادِکُم وَ اِمائِکُم اِن یَکونوا فُقَراءَ یُغنِهِمُ اللهُ مِن فَضلِه: और अपने में से ग़ैर शादीशुदा और अपने गुलाम और कनीज़ों से अच्छे लोगों की निकाह की जिम्मेदारी लो वह अगर ग़रीब होंगे तो अल्लाह उन्हें बेनियाज़ कर देगा", (नूर, 32)। कुरान रूहानी शांति और मनुष्य की मानसिक शांति, जो मनुष्य की सबसे महत्वपूर्ण जरूरतों में से एक है, के मुद्दे के बारे में कहता है "فَاَنزَلَ اللهُ سَکینَتَه عَلی رَسولِه؛ وَ عَلَی المُؤمِنین: तो अल्लाह ने अपना सुकून अपने रसूल पर और मोमिनीन पर नाज़िन किया", (फतह, 26)।
जीवन की घटनाओं में मनुष्य के सामने आने वाली आंतरिक उथल-पुथल को दबाने से लेकर, और विज्ञान और प्रकृति के ज्ञान की सिफारिश करने तक, "وَ استَعمَرَکُم فیها: और तुम्हें जमीन में आबाद किया" (हूद, 61) कि मनुष्य को विज्ञान की ओर, ज्ञान की ओर, प्रकृति की सच्चाइयों की खोज की ओर बढ़ना चाहिए। और अस्तित्व की दुनिया की सच्चाई की तरफ बढ़ना चाहिए, और मनुष्यों के ज़ाती व्यवहारों तक, "وَ لا تُصَعِّر خَدَّکَ لِلنّاسِ وَ لا تَمشِ فِی الاَرضِ مَرَحًا: और लोगों के लिए अकड़ कर मुंह ना फुलाना और जमीन पर अकड़ कर मत चलना" (लुकमान, 18) या "وَ اقصِد فی مَشیِکَ وَ اغضُض مِن صَوتِک: और अपने चाल में दरमियानापन रखो और अपनी आवाज़ को नीचा रखो" (लुकमान, 19) के बारे में कुरान में ध्यान दिया गया है।
कुरान में ऐसे मामलों में सबक और मार्गदर्शन हैं जिनमें जीवन के सभी क्षेत्र शामिल हैं; यानी कुरान मानव जीवन के सभी हिस्सों की देखरेख करता है और उन सभी के लिए रहनुमाई और मार्गदर्शन है, और इसमें मानव जीवन के हर हिस्से के लिए एक सबक है, और इन महत्वपूर्ण अध्यायों का उल्लेख किया गया है, और अन्य भी हैं महत्वपूर्ण अध्याय, ये सभी कुरान में उठाए गए हैं
कुछ लोग कितने बेखबर हैं जो सोचते हैं कि कुरान का जीवन के मुद्दों, राजनीति के मुद्दों, आर्थिक मुद्दों और हुकूमती मुद्दों से कोई लेना-देना नहीं है। ऐसा नहीं है, बल्कि कुरान का बड़ा हिस्सा जीवन के इन्हीं सामाजिक मुद्दों के बारे में है।
* पवित्र कुरान के साथ लगाओ की सभा में अयातुल्ला सय्यद अली खामेनेई के बयानों से लिया गया
* अयातुल्ला सैयद अली खमेनेई (जन्म 1939) एक शिया मुज्तहिद और इस्लामिक गणराज्य ईरान के धार्मिक नेता हैं। उन्होंने इस्लामी शिक्षाओं पर कई रचनाएँ प्रकाशित की हैं।