आदम के पैदा होने के समय से ही जो अख़लाक़ी खु़सूसियत इंसान की तरक्की और सफलता की राह पर इंसान का शॉर्टकट बनी है, वह आज भी मनुष्य को सफलता के पथ पर मोड़ती रहती है। सब्र, जो मनुष्य के अख़लाक़ी गुणों में से एक है, जीवन की कठिनाइयों में पक्का और पुख्ता होने का कारण बनता है।
इक़ना, तेहरान: ऐसे कई अख़लाक़ी गुण हैं जो धार्मिक सिफारिशों में व्यक्त किए गए हैं, लेकिन जो चीज़ कुछ अख़लाक़ी गुणों को दूसरों से अलग करती है वह उनके प्रभाव और असरात हैं। सब्र इन्सान के बड़े अख़लाक़ी गुणों में से एक है, जिसका समाज पर प्रभाव किसी से छिपा नहीं है।
कुरान मजीद ने सब्र के महत्व पर रोशनी डाली है, जहां यह कहा गया है: (سَلامٌ عَلَيْكُمْ بِما صَبَرْتُمْ فَنِعْمَ عُقْبَى الدَّار:) आपके सब्र और साबित करती पर सलाम हो! उस (हमेशा के) घर का अंत कितना अच्छा है! (राद: 24)। यह ज़ाहिर है कि जो व्यक्ति स्वर्ग जाता है उसने बहुत से अच्छे कर्म किए होंगे, लेकिन इस आयत में सब्र को इतना बढ़ा दिया गया है कि स्वर्ग में प्रवेश करते ही फ़रिश्ते उनके सब्र और साबित कदमी के लिए उन्हें बधाई देते हैं।
कोई व्यक्ति चाहे न चाहे, चाहे और उसे पसंद हो या न हो, जैसे ही वह इस दुनिया में प्रवेश करता है, उसे कई समस्याओं और परेशानियों (माद्दी और रुहानी) का सामना करना पड़ता है। यहां तक कि जो लोग आर्थिक रूप से अमीर हैं उनकी भी अपनी समस्याएं हैं। क्या मनुष्य को इन समस्याओं से हार मान लेनी चाहिए या लड़ना चाहिए?
हथियार डालना न दर्द से छुटकारा दिलाता है, बल्कि इन्सान के दर्द में एक और दर्द बढ़ा देता है। हार मानने और सब्र करने के बीच अंतर को समझना बहुत जरूरी है। समस्याओं से लड़ने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका सब्र है। सब्र ही मानव की सफलता का महानमार्ग है। इसीलिए इमाम अली (अ.स.) फरमाते हैं:
"لا يَعْدِمُ الصَّبُورُ الظَّفَرَ وَ انْ طَال بِهِ الزَّمانُ"
सब्र करने वाला व्यक्ति जीत से महरुम नहीं होगा, भले ही इसमें लंबा समय लगे।
सब्र की कुछ शाखाएँ हैं:
1. इताअत पर सब्र: यह स्पष्ट है कि अल्लाह ने हमारे लिए जो अहकाम रखे हैं उन्हें पूरा करना कभी-कभी थका देने वाला और कठिन हो जाता है। अल्लाह की इताअत पर सब्र का अर्थ है अल्लाह की इताअत के रास्ते में आने वाली कठिनाइयों जैसे उपवास, जिहाद, खुम्स आदि का सामना करने में सब्र रखना।
2. गुनाह में सब्र: यानी गुनाह और पाप न करने की कोशिश में सब्र करना, और किसी व्यक्ति का पाप के जज़्बात और लुभाव के विरुद्ध खड़ा होना। इस प्रकार का सब्र सभी प्रकारों के सब्र में सब से बड़ा है।
3. मुसीबत पर सब्र: जैसा कि पहले कहा गया था, संसार की एक विशेषता यह है कि जो भी मनुष्य इसमें प्रवेश करता है, समस्याएँ और परेशानियाँ उसके पास आती हैं। माद्दी नुक़सान, जैसे संपत्ति की हानि और जानी नुकसान, जैसे रिश्तेदार की मृत्यु पर सब्र करने को मुसीबत पर सब्र कहा जाता है।
अगर हम सब्र के इन 3 प्रकारों को ध्यान से देखें तो हमें पता चलेगा कि इन सबका नतीजा जीवन में सफलता है।