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कुरान क्या है? / 11

इसका क्या मतलब है कि कुरान मुबारक है?

15:43 - July 03, 2023
समाचार आईडी: 3479393
तेहरान, इक़ना: कुरान के बारे में इस्तेमाल की जाने वाली विशेषताओं में से एक यह है कि कुरान मुबारक है। लेकिन इस विशेषता का क्या अर्थ है और इसका उपयोग कुरान के लिए क्यों किया जाता है?

तेहरान, इक़ना: कुरान के बारे में इस्तेमाल की जाने वाली विशेषताओं में से एक यह है कि कुरान मुबारक है। लेकिन इस विशेषता का क्या अर्थ है और इसका उपयोग कुरान के लिए क्यों किया जाता है?

 

सूरह अंबिया की आयत 50 में, अल्लाह ने कुरान को एक पवित्र और मुबारक पुस्तक कहा: 

وَ هذا ذِكْرٌ مُبارَكٌ أَنْزَلْناهُ أَ فَأَنْتُمْ لَهُ مُنْكِرُون‏

और यह (कुरआन) एक मुबारक ज़िक्र है जो हमने (तुम्हारे पास) भेजा है, क्या तुम इससे इनकार करते हो?! (पैगंबर: 50)

 

मुबारक होने का अर्थ है वह चीज़ जिसमें बहुत अच्छाई हो और जिसमें बहुत अधिक लाभ हो, और अल्लाह ने कुरान, बारिश आदि जैसी चीजों को कुरान में मुबारक कहा है। यह लाभ, जिसे बरकत कहा जाता है, माद्दी और रूहानी मामलों में हो सकती है।

यह जानने के लिए कि यह कुरान किस हद तक ज्ञान और बरकत की वजह है, कुरान के नाज़िल होने से पहले अरब द्वीप के निवासियों की स्थिति की तुलना कुरान के आने के बाद उनकी स्थिति के साथ करना काफी है, जो पहले जंगलीपन, जिहालत, गरीबी, दुख और बिखरावमें रहते थे, और बाद में वे दूसरों के लिए एक आइडियल बन गए। हम कुरान के आने से पहले और बाद में अन्य जनजातियों की स्थिति की भी जांच कर सकते हैं।

 

इमाम अली (अलैहिस सलाम) ने जिहालत के युग में लोगों की स्थिति को कई मिसाइलों के साथ पूरी तरह से वर्णित किया है; कभी वह उनकी तुलना किसी ऐसे व्यक्ति से करते हैं जो भयानक भंवर में है और लगातार मदद के लिए चिल्लाता रहता है, और कभी वह उनकी तुलना उन जानवरों से करते हैं जिनकी लगाम खराब और भ्रष्ट लोगों के हाथों में है जो उन्हें नाबूदी की तरफ खींच ले जाते हैं।

जाहिली युग में अरब जो काम करते थे उनमें से:

1. उन्होंने छोटे-छोटे मुद्दों पर बड़े युद्ध शुरू कर दिए जो वर्षों तक चल सकते हैं। इन युद्धों को "ایام‌ العرب: अरब के दिन" ​​​​कहा गया है और उनमें से कुछ चालीस वर्षों तक जारी रहे।

 

2. उनके सम्पूर्ण जीवन पर जिहालत एवं खुराफात छा गया था, जिसका कारण संस्कृति एवं अच्छे कल्चर से दूरी में ही खोजा जा सकता है। मिसाल के लिए: यदि किसी मादा गाय ने पानी नहीं पिया, तो वे बैल के सींगों के बीच एक राक्षस के होने को कारण मानते थे और उसकी पिटाई करते थे।

3. जाहिल अरब स्त्रियों को महत्व नहीं देते थे। वे महिलाओं और लड़कियों को शर्म और अपमान की बुनियाद मानते थे। वे महिलाओं को विरासत के योग्य नहीं मानते थे और उनमें से लड़कियों को जिंदा दफनाने की खबरें भी मिलती हैं।

 

पवित्र पैगंबर, हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहे वआलेही वसल्लम) कुरान की शिक्षाओं के साथ समाज को सुधार के रास्ते पर लाने और समाज के मूल्यों और विचारों में सुधार करने में कामयाब थे। जिहालत के युग के मुकाबले कुरान की कुछ अख़लाक़ी सिफ़ारिशें:

1. ज़ुल्म का खात्मा: 

“وَ سَيَعْلَمُ الَّذِينَ ظَلَمُواْ أَىَّ مُنقَلَبٍ يَنقَلِبُون

जिन लोगों ने अन्याय किया है, वे जल्दी ही जान लेंगे कि उन्हें उलट पलट दिया जाएगा (शोअरा: 227)।

2. ईमानदारी और सच्चाई पर जोर: اتَّقُواْ اللَّهَ وَ كُونُواْ مَعَ الصَّادِقِين; ख़ुदा से डरो और सच्चे लोगों के साथ रहो" (तौबा: 119)

3. न्याय के लिये सलाह: “وَ إِذَا حَكَمْتُم بَينْ‏ النَّاسِ أَن تحَكُمُواْ بِالْعَدْلِ ; जब तुम लोगों के बीच फ़ैसला करो तो इन्साफ़ के साथ फ़ैसला करो" (अन-निसा: 58)।

मनुष्य, पैगम्बरे इस्लाम के कार्य की महानता और पवित्र कुरान की बरकत को तब तक नहीं समझ पाएगा जब तक वह कुरान के आने से पहले लोगों की स्थिति से वाक़िफ नहीं हो जाता।

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