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कुरान में अखलाक की तालीम / 21

मआफ़ करदेना और बख़्श देना

6:26 - August 23, 2023
समाचार आईडी: 3479679
तेहरान (IQNA) यह मानते हुए कि क्रूरता और ज़ुल्म आज की दुनिया का हिस्सा हैं। मनुष्य इसके विरुद्ध सबसे अच्छा तरीका क्या अपना सकता है?

सबसे महान गुणों में से एक, जिसे हासिल करना आसान नहीं है, वह है जब आपके पास शक्ति हो तो क्षमा करना और बदला लेना छोड़ देना। अपनी जगह अच्छा नैतिक गुण होने के अलावा, इंसानों पर इसके प्रभाव की दृष्टि से यह बदला लेने से भी बेहतर है। क्योंकि बदला लेने से किसी व्यक्ति के नुकसान की भरपाई नहीं होती, बल्कि यह एक कुछ दिनों की खुशी होती है। लेकिन क्षमा और माफी देने में व्यक्ति की क्षमता को बढ़ाकर यह संभव कर देती है कि व्यक्ति को जीवन में आए किसी भी कष्ट से परेशानी न हो।

बहुत से लोग अपने सीने में कीने को छुपाते हैं, और वे लगातार उस दिन की प्रतीक्षा करते हैं जब वे दुश्मन पर विजय प्राप्त करेंगे, और उससे कई बार बदला लेंगे, न केवल बुराई के लिए बुराई का बदला लेंगे, बल्कि एक बुराई का बदला कई बुराइयों के जरिए लेंगे। और सबसे बुरी बात यह है कि कभी-कभी उन्हें इस बुरे गुण पर गर्व होता है, और वे कहते हैं कि हमने ही दुश्मन पर कामयाब होने के बाद उसके साथ ऐसा-ऐसा किया।

 

कुरान में, अल्लाह अपने पैगंबर को क्षमा करने और माफ़ करने का निर्देश देता है: 

"خُذِ الْعَفْوَ وَأْمُرْ بِالْعُرْفِ وَأَعْرِضْ عَنِ الْجَاهِلِينَ; 

उनके साथ सब्र करो और उनके उज़्रों को स्वीकार करो, और उन्हें अच्छे कामों की ओर बुलाओ, और जाहिलों से दूर हो जाओ (और उनसे मत लड़ो)" (अराफ: 199) 

ये तीन आदेश हैं जो अल्लाह ने एक महान नेता के रूप में पैगंबर को दिए हैं। यह क्षमा और क्षमा के महत्व को दर्शाता है। पहले आदेश में क्षमा की सिफारिश करता है। दूसरे आदेश का मतलब है कि लोगों में जितनी शक्ति है उससे अधिक न चाहें और तीसरे आदेश में वह जाहिलों के कामों को नजर अंदाज करने की सलाह देते है, इसमें भी एक प्रकार की क्षमा शामिल है।

 

सच्चे रहबरों को अल्लाह के और समाज सुधार के रास्ते पर हमेशा कट्टर और अज्ञानी लोगों का सामना करना पड़ता है, जो उनके प्रति सभी प्रकार के उत्पीड़न और अपमान को सहन करते हैं, यह आयत और कुरान की कई अन्य आयतें कहती हैं कि उनके साथ न उलझें और सबसे अच्छा तरीका यही है कि नज़रअंदाज़ करें और अनसुना कर दें। और अनुभव से पता चलता है कि यह उनके हसद जलन और कट्टरता की आग बुझाने और उन को जगाने का सबसे अच्छा तरीका है।

 

एक हदीस में वर्णित है कि जब यह आयत नाज़िल हुई, तो हजरत पैगंबर ने जिब्राइल से कहा: इस आयत का अर्थ क्या है? और उन्हें क्या करना चाहिए? जिब्राइल ने कहा: मुझे नहीं पता कि मुझे अल्लाह से पूछना पड़ेगा। वह जाकर फिर लौटे और बोले: अल्लाह तुम्हें आदेश देता है कि जिसने तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया है उसे क्षमा कर दो और जिसने तुम्हें महरुम किया है उसे भी क्षमा कर दो और जो तुमसे अलग हो गया है उसके साथ प्रेम का बंधन रखो।

 

एक अन्य रिवायत में अल्लाह क्षमा और माफ़ करने का जिक्र देते हुए कहता है कि وَإِنْ تَعْفُوا وَتَصْفَحُوا وَتَغْفِرُوا فَإِنَّ اللَّهَ

 غَفُورٌ رَحِيمٌ: 

और यदि तुम क्षमा करो, और दुसरो की गलतियों से आंखें बन्द करो, (तो अल्लाह तुम्हें क्षमा करेगा); क्योंकि ईश्वर क्षमाशील और दयालु है!" (तग़ाबुन: 14)

 

यदि परिवार और समाज के माहौल से क्षमा को हटा दिया जाए और हर कोई भी अपने साथ हुए उपद्रव का बदला लेना चाहे, तो समाज का वातावरण एक जलते हुए नरक में बदल जाएगा जहां कोई भी सुरक्षित नहीं है और जल्द ही परिवार टूट जाएंगे।

याद रखना चाहिए कि कुरान में सजा और जुल्म को बर्दाश्त न करने जैसे मुद्दों का भी जिक्र है और ऐसा नहीं है कि उसने सभी स्थितियों में माफी की सिफारिश की है।

(आयतुल्लाह मकारिम शीराज़ी की पुस्तक "अख़्लाक" से)

 

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