सभी प्रकार की बीमारियों और सभी प्रकार के क़रज़ों से निपटना उन चुनौतियों में से एक है जिनका सभी लोग जीवन में सामना करते हैं। इनमें से प्रत्येक मामला जो मनुष्य के सामने आता है, वह कभी-कभी इसलिए होता है क्योंकि अल्लाह मनुष्य को परखना और आज़माना चाहता है। कभी-कभी ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पिछली नेमतों के प्रति इंसान की नाशुक्री के कारण यह स्थिति उत्पन्न होती है। जिस प्रकार शुक्र का प्रभाव नेमतों को बढ़ाने पर पड़ता है, उसी प्रकार कुफ़्र का प्रभाव नेमतों को खोने पर भी पड़ता है।
सर्वशक्तिमान अल्लाह ने कुरान में एक आयत प्रकट की जिसके माध्यम से मनुष्य को अपनी ज़ाती कमजोरी का एहसास होता है। नतीजतन, जिस व्यक्ति में आंतरिक कमजोरी है उसे किसी ऐसे व्यक्ति के प्रति कुफ़्र की स्थिति में नहीं होना चाहिए जिसे किसी चीज की आवश्यकता नहीं है; अल्लाह का फरमान है:
"كَيْفَ تَكْفُرُونَ بِاللَّهِ وَكُنْتُمْ أَمْوَاتًا فَأَحْيَاكُمْ ۖ ثُمَّ يُمِيتُكُمْ ثُمَّ يُحْيِيكُمْ ثُمَّ إِلَيْهِ تُرْجَعُونَ
आप अल्लाह का इनकार कैसे करते हैं?! जबकि तुम मुर्दा (और बेजान शरीर) थे, और उसने तुम्हें जिंदा किया; फिर वह तुम्हें मार डालेगा; और तुम्हें फिर से जीवित करेगा; फिर तुम उसके पास लौटा दिये जाओगे। (इसलिए, न तो तुम्हारा जीवन तुम्हारा है, न ही तुम्हारी मृत्यु; जो कुछ तुम्हारे पास है वह अल्लाह की ओर से है)" (अल-बकरा: 28)।
1. काफ़िर का शाब्दिक अर्थ है किसी चीज़ को ढकना और छिपाना, और यदि कभी-कभी काफ़िर शब्द किसान के लिए प्रयोग किया जाता है, तो इसका कारण यह है कि यह व्यक्ति ज़मीन में बीज डालता है और उसे मिट्टी से ढक देता है। इसलिए, जो व्यक्ति ईश्वर द्वारा दिए गए नेमत का मूल्य छिपाना चाहता है या उस को छिपाने की कोशिश करता है जिसने उसे यह नेमत दी है, उसे काफ़िर कहा जाता है।
2. क़ुरआन हम सभी को याद दिलाता है कि इससे पहले तुम पत्थरों और लकड़ियों और निर्जीव प्राणियों की तरह मरे हुए थे, और तुम्हारे शरीर में जान भी नहीं थी। लेकिन अब आपके पास जीवन और अस्तित्व की नेमत है, विभिन्न अंग और प्रणालियाँ, एहसास और समझ आपको दी गई हैं, और यह मुद्दा इतना राज़दाराना है कि लाखों वैज्ञानिकों के विचार और उनके प्रयास अब तक इसे समझने में विफल रहे हैं! यह मानते हुए कि आप पर अल्लाह आल्हा तरीन नेमत ह, आप कुफ़्र कैसे करते हैं?
3. अल्लाह को जानने का सबसे अच्छा तरीका अपनी और दुनिया की रचना के बारे में सोचना है। जीवन की घटना के बारे में सोचने और मृत्यु के मुद्दे के बारे में सोचने से मनुष्य को यह एहसास होता है कि यदि जीवन स्वयं मनुष्य से है, तो यह हमेशा के लिए होना चाहिए। पहले क्यों नहीं थी, बाद में मिली और फिर वापस ले ली जायेगी!
अंत में, अल्लाह ने उन लोगों पर, अपनी फरिश्तों की और सभी लोगों की लानत भेजी है जो कुफ़्र में रहते हैं और कुफ़्र ही में मर जाते हैं:
ِانَّ الَّذينَ كَفَرُوا وَ ماتُوا وَ هُمْ كُفَّارٌ أُولئِكَ عَلَيْهِمْ لَعْنَةُ اللَّهِ وَ الْمَلائِكَةِ وَ النَّاسِ أَجْمَعين ;
जो लोग काफ़िर हुए और कुफ़्र में मर गये, उन पर अल्लाह, फ़रिश्तों और सभी लोगों की लानत होगी। (बक़रहः 161)