शिक्षा का अर्थ है पालन-पोषण जिसमें बढ़ोत्तरी देखी जाये; तज़किया की तरह, जिस के अन्दर विकास के मायने भी हैं। पवित्र कुरान में, "तर्बियत" का उपयोग कई बार किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
1) «و ترى الارض هامدة فاذا انزلنا علیها الماء اهتزّت و ربت»(हज, 5)
आप देखते हैं कि धरती सूखी और बंजर है, और जब हम बारिश भेजते हैं, तो वह हिलती है और पौधों की वृद्धि शुरू हो जाती है यह।
2) «و قل ربّ ارحمهما كماربّیانى صغیراً»
कहो, "हे अल्लाह, मेरे माता-पिता को अपनी दया प्रदान कर, जैसे उन्होंने मुझ पर दया की थी जब मैं एक बच्चा था।"
कुछ शोधकर्ताओं का कहना है: अधिकांश मामलों में तर्बियत और रूहानी कामयाबी और कमाल की ओर ले जाने पर विचार नहीं किया गया है। अलबत्ता, शिक्षा की एक सामान्य अवधारणा है जिसमें माद्दी और रूहानी दोनों, किसी भी कमाल और तरक्की में विकास और नुमू के सभी स्तर शामिल हैं।
अत: तर्बियत शब्द - अपने मूल के अनुसार - का अर्थ बढ़ोत्तरी एवं विकास के हालात प्रदान करना है। इसके अलावा तर्बियत का प्रयोग तहज़ीब के अर्थ में भी किया जाता है, जिसका अर्थ है बुरे अख़्लाकी गुणों को समाप्त करना। ऐसा प्रतीत होता है कि इस प्रयोग में यह माना गया कि अख़्लाकी तहज़ीब ही रूहानी स्थिति एवं गरिमा में बढ़ोतरी का कारण है और इस अर्थ में तहज़ीब को ही तर्बियत माना जा सकता है।
मोहसिन क़िराअती द्वारा लिखित पुस्तक "राह रुश्द" से लिया गया