विश्वविद्यालयों मे सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि निकाय के संचार और सूचना केंद्र के हवाले से,
इस कथन का पाठ, फ़ारसी, अरबी और अंग्रेजी में प्रकाशित इस प्रकार है:
शहीदों और सादिक़ीन के रब के नाम से
गौरवशाली ऑपरेशन "अल-अक्सा तूफ़ान" जो प्रतिरोध समूहों और फिलिस्तीनी लोगों की स्वतंत्र सहज कार्रवाई थी
अपने अंतर्निहित अधिकारों की रक्षा करना और ज़ायोनी शासन की गणना पर एक बड़ा और ऐतिहासिक हमला रहा है ऐक बार फिर ईश्वर के शब्द «إنّ أوْهن الْبیوت لبیْت الْعنْکبوت» को एक निश्चित विश्वास में बदल दिया है और इस ग़ासिब शासन की झूठी और नकली शक्ति पर भय को साबित करते हुऐ ग़ासिब सत्ता पर एक अपूरणीय हार थोप दी है बेशक, यह कार्रवाई एक उत्पीड़ित राष्ट्र की ओर से अपने अधिकारों और प्रतिरोध की रक्षा में एक वैध प्रतिक्रिया है भूमि हड़पने वालों और किसी राष्ट्र पर आक्रमण करने वालों के खिलाफ, यह सभी सम्मानजनक और स्वतंत्र मनुष्यों का सबसे बुनियादी अधिकार है जो इसे हर धार्मिक और बौद्धिक पेशे द्वारा स्वीकार किया गया है।
दूसरी ओर, ज़ायोनी शासन का क्रूर और भयानक व्यवहार, जिसने ग़ासेबाना जीवन कई दशकों के दौरान, फ़िलिस्तीन के उत्पीड़ित लोगों को हमेशा रंगभेद नीतियों के कारण हत्या, अपराध और क्रूरता का सामना करना पड़ा है इस शासन का शुरू से लेकर अब तक का भयावह रिकॉर्ड फ़िलिस्तीनियों के बुनियादी अधिकारों के घोर उल्लंघन, हत्याओं, पवित्र स्थानों के अपमान आदि से भरा है।जो हर स्वतंत्र व्यक्ति के दिल को ठेस पहुँचाता है।
आज गाजा में जो हो रहा है और इन कुछ दिनों में आवासीय घरों, बुनियादी सुविधाओं, मस्जिदों, स्कूलों, विश्वविद्यालय, अस्पतालों और राहत बलों पर क्रूर हमले और ईंधन, पानी, बिजली में कटौती सामूहिक हत्या का एक स्पष्ट उदाहरण है.
यह मानवता के खिलाफ अपराध है.
अंतर्राष्ट्रीय और मानवाधिकारों के लिए जिम्मेदार संगठनों, सभाओं और संस्थानों से ऐसा करने की अपेक्षा की जाती है कि चुप्पी और निष्क्रियता का ताला छोड़कर फ़िलिस्तीनी लोगों के अधिकारों को पूरा करना उनके कानूनी और मानवीय कर्तव्य हैं कब्ज़ा करने वालों को सज़ा, इन निर्विवाद अपराधों में भाग लेने से जो मानव समाज के लिए अपमानजनक माना जाता है साफ़ करके इस ज़ायोनी शासन के अपराधों की निंदा करते हुए निर्णायक और प्रभावी प्रतिक्रिया के माध्यम से शासन को इन कार्रवाइयों को जारी रखने से रोकें।
हम, देश के विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर, फिलिस्तीनी शहीदों की पाक रूहों को जिन्हों ने खुद को उनका हमदर्द माना, श्रद्धांजलि देते हैं और अपनी रक्षा करना इजरायली शासन के अत्याचारों और जघन्य अपराधों के खिलाफ उनका अंतर्निहित और कानूनी अधिकार है साथ ही संकल्प और कार्रवाई की आवश्यकता पर हम जोर देते हैं। हम इस शासन के मानव विरोधी कार्यों को रोकने की वैश्विक तात्कालिकता पर जोर देते हैं और हम शांति और सुल्ह स्थापित करने में कब्ज़े की समाप्ति, शरणार्थियों की वापसी पर विश्वास करते हैं फ़िलिस्तीन की भविष्य की व्यवस्था के निर्धारण को छोड़कर फ़िलिस्तीन में स्थिरता, जनमत संग्रह और सभी फ़िलिस्तीनियों की भागीदारी के साथ और अंततः क़ुद्स शरीफ़ की राजधानी के साथ एक एकीकृत फ़िलिस्तीनी राज्य का गठन के बिना इसका अंत नहीं होगा.
साथ ही, हम दुनिया भर के विचारकों, विशेषज्ञों और शिक्षाविदों, विशेषकर इस्लामी जगत के प्रोफेसरों को भी आमंत्रित करते हैं
इन भयानक अपराधों की निंदा में आम रुख अपनाते हुए, अलग-अलग क्षेत्रों में इन उत्पीड़ित लोगों की आवाज़ और उनका बचाव करने में अपनी बौद्धिक जिम्मेदारी को न भूलें और उन्हें
इज़ज़त न दें कि सबसे क्रूर मानवीय आपदाएँ उनकी आँखों के सामने घटित हों दूसरा महत्वपूर्ण कार्य आतंकवादी और क्रूरवादी ज़ायोनी सरकार के दण्ड का पालन करना है
दुनिया को पता होना चाहिए कि गाजा के लोग अकेले नहीं हैं और फिलिस्तीन हमेशा इस्लामी दुनिया का हिस्सा था और है व रहेगा।
و العاقبه لاهل التقوی و الیقین
देश के सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा केंद्रों के प्रोफेसर इस अभियान के समर्थक के रूप में अपना नाम, उपनाम और अपने विश्वविद्यालय नीचे दिए गए ईमेल पर भेज सकते हैं।
info@iqna.ir
4176717