इमाम सादिक (अ.स.) ने कुरान में वर्णित प्रमुख पापों का वर्णन इस प्रकार किया है:
1- सबसे बड़ा पाप ईश्वर के विरुद्ध शिर्क है; कुरान कहता है:
«وَ من یُشرك بِاللّه فَقد حَرّم اللّه عَلَیهِ الجنّة» (माएदह, 72)
2- अल्लाह की रहमत से मायूसी;
«انّه لایَیأس مِن روحِ اللّه الاّ القَوم الكافِرون» (यूसुफ़, 87)
3- अल्लाह के मक्र (सज़ा और मोहलत) से सुरक्षित समझना;
«فلا یامن من مكر اللهّ الاّ القوم الخاسرون» (आराफ, 99)
4- माता-पिता का उक़ूक़ (और उत्पीड़न); जैसा कि कुरान हज़रत ईसा के शब्दों में कहता है:
«و برّاً بِوالدَتى و لَم یَجعَلنى جَبّاراً شقیّاً» (मरियम, 32)
5- किसी निर्दोष व्यक्ति की हत्या करना;
«و مَن یَقتُل مؤمِناً مُتعَمّداً فَجزاؤه جهَنّم خالِداً فیها و غَضبَ اللّه عَلیه وَ لَعنَه وَ اعدّ لَه عَذاباً عَظیماً» (निसा, 93)।
6- पवित्र स्त्री पर ज़िना का ग़लत इल्ज़ाम;
«انّ الّذینَ یَرمُونَ الُمحصِناتِ الغافِلات المُؤمِنات لُعِنُوا فى الدّنیا و الاخرة وَ لَهم عَذاب عَظیم» (नूर, 23)
7- यतीम (अनाथ) की सम्पत्ति खाना;
«انّ الّذینَ یَأكلون اَموال الیَتامى انماّ یاكلون فى بطونهم ناراً وسیصلون سعیراً» (निसा, 10)
8- जिहाद के मोर्चे से भागना;
9- सूदखोरी;
«اَلّذینَ یَاكُلونَ الرِّبا لایَقُومُون اِلاّ كَما یَقوم الّذى یَتخبَّطهُ الشّیطان مِن المسّ» (अल-बकराह, 275)
10- जादू;
«وَ لَقَد عَلمُوا لِمَن اشتَراهُ مالَه فِى الاخِرة مِن خلاق» (अल-बकराह, 102)
"वे निश्चित रूप से जानते थे कि जो कोई जादू खरीदेगा वह क़यामत में बेकार हो जाएगा।"
11- ज़िना;
«وَ مَن یَفعَل ذلكَ یَلقَ اَثاماً یُضاعف لَه العَذاب یَومَ القیامَة وَ یَخلُد فیهِ مُهاناً» (फुरकान, 68-69)
"जो कोई ज़िना करेगा वह अपनी सज़ा देखेगा, क़यामत के दिन ऐसे व्यक्ति की सज़ा दोगुनी कर दी जाएगी, और वह इसमें हमेशा अपमान के साथ रहेगा।"
12- पाप के लिये झूठी क़सम;
«اَلّذینَ یَشتَرونَ بِعَهدِ اللّه و ایمانِهم ثَمَناً قَلیلاً اُولئِك لا خلاقَ لَهم فِى الاخِرة» (अल-इमरान, 77)
"जो लोग अल्लाह के साथ की गई अपनी वाचा और अपनी शपथों को थोड़े से दाम के लिए बेच देते हैं, वे क़यामत में बेकार हो जाएंगे।"
13- वाजिब ज़कात न देना;
«یَومَ یُحمى عَلَیها فى نارِ جَهنَّم فَتُكوى بِها جِباهُهُم و جُنوبهم و ظُهورهم» (तौबा, 35)
14- शराबखोरी,
«یا ایّها الَّذین آمَنوا اِنّما الخَمر و المَیسر و الاَنصابُ و الاَزلام رِجسٌ من عَمل الشَّیطان فَاجتَنبوه لعّلكم تُفلِحون» (माऐदाह, 90)
17- जानबूझ कर नमाज़ या अन्य वाजिब छोड़ना
18 और 19- वाचा को तोड़ना और नज़दीक के रिश्तेदारों से ताल्लुक़ तोड़ देना, जैसा कि अल्लाह कहता है:
«اُولئِك لَهمُ اللَعنَة وَ لَهم سُوء الدّار» (राड, 25)
मोहसिन क़िरअती द्वारा लिखित पुस्तक "गुनाह को पहचानिए" (گناه شناسی) से लिया गया