इकना ने ट्यूनीशियाई समाचार एजेंसी के अनुसार बताया कि, इस प्रदर्शनी का उद्देश्य यूरोपीय दार्शनिक, धार्मिक और सांस्कृतिक विचारों पर कुरान के प्रभाव को पेश करना है, जो मध्य युग में शुरू हुआ और 30 अप्रैल तक जारी रहेग़ा।
इस प्रदर्शनी में ट्यूनीशियाई संस्थानों और दुनिया भर के अन्य संग्रहालयों से 80 से अधिक दुर्लभ कुरानिक पांडुलिपियां और दस्तावेज प्रदर्शित किए गए हैं।
यह प्रदर्शनी इस बात पर एक नया परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करती है कि यूरोपीय दृष्टिकोण में अकादमिक अध्ययन या सांस्कृतिक और बौद्धिक चर्चा मंडलियों में कुरान को किस प्रकार संबोधित किया जाता है, तथा यह प्रस्तुति आधुनिक प्रौद्योगिकियों द्वारा समर्थित है, जिसमें इंटरैक्टिव डिस्प्ले (टच मॉनिटर) भी शामिल है।
ट्यूनीशिया के राष्ट्रीय पुस्तकालय के निदेशक खालिद कशिर ने ट्यूनिस-अफ्रीकी समाचार एजेंसी के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि यह प्रदर्शनी एक ऐसा संदेश देती है जो पूर्व और पश्चिम की पारंपरिक सीमाओं से परे है और इसका उद्देश्य इस्लाम और यूरोप के बीच सांस्कृतिक प्रतिच्छेदन को प्रदर्शित करना है।
यह प्रदर्शनी अरब मगरिब (अफ्रीका के उत्तर और उत्तर-पश्चिम में स्थित पांच देश) और यूरोप के बीच कुरान और इस्लामी पांडुलिपियों के संचरण का पता लगाती है, और ऐतिहासिक दस्तावेजों को प्रदर्शित करती है जो बताते हैं कि कुरान मध्य युग और आधुनिक युग में यूरोप में बौद्धिक बहस का केंद्र कैसे था।
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