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मिस्र में शेख़ 'हमदी ज़ामिल' की तिलावत का पुनर्प्रसार + वीडियो 

16:04 - May 13, 2025
समाचार आईडी: 3483530
IQNA-मिस्र के अवकफ मंत्रालय ने मिस्र के स्वर्गीय कारी शेख हमदी अल-ज़ामिल की पुण्यतिथि के 43वें वर्ष पर उनकी तिलावत को अपने आधिकारिक मंचों पर पुनर्प्रसारित किया।

अश-शुरूक की रिपोर्ट के मुताबिक, 12 मई को शेख हमदी महमूद अल-ज़ामिल की पुण्यतिथि थी, जो मिस्र और इस्लामी दुनिया में कुरान तिलावत की प्रमुख हस्तियों में से एक थे। 

इस अवसर पर मिस्र के अवक़ाफ़ मंत्रालय ने घोषणा की कि वह शेख हमदी अल-ज़ामिल की कुछ तिलावतों को उनकी ख़ाशेआना (विनम्र) आवाज़ के सम्मान में, जो दिलों को छू लेती थी, अपने आधिकारिक मंचों पर प्रकाशित करेगा ताकि उनकी याद को ताज़ा किया जा सके। 

हमदी अल-ज़ामिल का जन्म 22 दिसंबर 1929 को मिस्र के 'दकाहलिया' प्रांत के 'दमनह' जिले के 'मनिया' गाँव में हुआ था और उन्होंने 10 साल की उम्र से पहले ही कुरान हिफ्ज़ कर लिया था। 

उन्होंने मिस्र के कुरान के प्रसिद्ध शिक्षक शेख 'औफ़ बहबह' से तिलावत और तजवीद सीखी और इसमें महारत हासिल की। 

मिस्र के अवक़ाफ़ मंत्रालय ने इस मौक़े पर एक बयान जारी कर कहा कि शेख़ ज़ामिल एक अद्वितीय क़ारी थे, जिन्होंने अपने उत्कृष्ट पाठ और मज़बूत याददाश्त के कारण प्रमुख कारियों का ध्यान आकर्षित किया। 

वह मिस्र भर में धार्मिक अवसरों पर अपनी तिलावत के लिए प्रसिद्ध हुए और 1976 में मिस्र के रेडियो और टेलीविजन ने उनकी तिलावत को मान्यता दी, जिसके बाद वह उन चुनिंदा लोगों में शामिल हो गए, जिनकी विनम्र तिलावत ने मीडिया में व्यापक पहचान बनाई। 

शेख़ ज़ामिल ने अल-अज़हर में अपनी शिक्षा जारी रखी और अल-अज़हर के शिक्षक उनकी प्रतिभा से प्रभावित थे। शेख़ तौफ़ीक़ अब्दुलअज़ीज़ ने उनके लिए कुरान के क्षेत्र में एक उज्ज्वल भविष्य की भविष्यवाणी की थी। 

वह तजवीद के नियमों का पालन करने में माहिर थे और शेख़ मुस्तफ़ा इस्माइल और उस्ताद अब्दुलबासित अब्दुस्समद जैसे अपने समय के महान कारियों का सम्मान प्राप्त थे। 

शेख़ ज़ामिल विनम्रता और अच्छे चरित्र के प्रतीक थे, लोगों से प्यार करने वाले और अपने शिक्षकों व सहयोगियों के प्रति वफ़ादार थे। 12 मई 1982 को उनका निधन हो गया और हज़ारों प्रशंसकों ने उनके अंतिम संस्कार में भाग लिया। 

नीचे आप सूरह तौबा (9) की आयत 111-117 की तिलावत शेख हमदी महमूद अल-ज़ामिल की आवाज़ और छवि के साथ देख सकते हैं। यह तिलावत 1977 में मिस्र टेलीविजन स्टूडियो में रिकॉर्ड की गई थी।

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